लंदन : आज ही के दिन 1882 में द एशेज सीरीज का जन्म हुआ था. इस सीरीज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच कांटे की टक्कर होती है. एशेज सीरीज के पहले मैच में इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया से आठ रन से ओवल में अपनी पहली हार का सामना करना पड़ा था. आज भी इस सीरीज में दोनों देशों के बीच कांटे की टक्कर होती है. अगस्त 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने इस टेस्ट मैच के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया अपनी पहली पारी में सिर्फ 63 रन पर ढेर हो गया और इंग्लैंड की टीम के पास एक बेहतरीन मौका था. ऑस्ट्रेलिया की ओर से टेड पीट (4/31) और डिक बार्लो (5/19) की शानदार गेंदबाजी के कारण जैक ब्लैकहैम (17) और बिली मर्डोक (13) ही दस से ऊपर के स्कोर को हिट कर सके और अन्य बल्लेबाज जल्दी ढेर हो गये.
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जवाब में, इंग्लैंड भी बहुत कुछ हासिल नहीं कर सका क्योंकि मध्यम तेज गेंदबाज फ्रेडरिक स्पोफोर्थ के 7/46 ने इंग्लैंड को सिर्फ 101 रन पर आउट करने में मदद की. केवल जॉर्ज यूलियट (26) और मौरिस रीड (19*) ही कुछ अच्छी पारियां खेली. हालांकि, इंग्लैंड की ऑस्ट्रेलिया पर 38 रनों की बढ़त मिली, जिससे उन्हें कुछ राहत मिला. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में भी बल्लेबाजों का मिजाज वैसा ही रहा और इंग्लैंड पर केवल 85 रन की बढ़त मिल सकी.
टेड पीट ने एक बार फिर इंग्लैंड के लिए 4/40 से प्रभावित किया. मैच के दूसरे दिन डब्ल्यूजी ग्रेस के 32 रन के बावजूद इंग्लैंड टेस्ट जीतने में असफल रहा. जब इंग्लैंड के टेड पीट, टीम के आखिरी बल्लेबाज क्रीज पर आये, तो इंग्लैंड को जीत के लिए 10 रनों की जरूरत थी. वह आउट होने से पहले केवल दो रन बना सके. इंग्लैंड 77 रन पर ऑल आउट हो गया था और अपनी घरेलू धरती पर पहली बार एक टेस्ट हार गया था.
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मैच के बाद एक अंग्रेजी अखबार ने लिखा कि आज अंग्रेजी क्रिकेट की मौत हो गयी. अंग्रेजी क्रिकेट को जला दिया जायेगा और उसकी राख (Ashes) ऑस्ट्रेलिया भेजी जायेगी. उसी समय मैच के गिल्लियों को जला दिया गया और राख को एक कलश में रखा गया. इसी के साथ द एशेज सीरीज की शुरुआत हुई. कई सालों तक ट्रॉफी के रूप में इस कलश को प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया. इसके जैसी दिखने वाली ट्रॉफी बनायी जाती है और विजेता को वहीं ट्रॉफी दी जाती है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज कप एक बड़ा मुकाबला होता है.