सहरसा,आशुतोष: राघोपुर प्रखंड के शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आया है, जिसमें शिक्षक से लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तक की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस धांधली में आपसी तालमेल के तहत लाखों रुपये का वेतन गबन का मामला सामने आ रहा है. मामले के बाबत मिली जानकारी अनुसार बीईओ राघोपुर द्वारा प्रेषित पत्र के आधार पर एक शिक्षिका को एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में प्रतिनियुक्त किया गया, लेकिन अपने लगभग पांच महीने के प्रतिनियुक्ति काल के दौरान वो शिक्षिका विद्यालय पहुंची ही नहीं. जबकि मूल विद्यालय से भी वो इस दौरान गायब रहीं. जिसे लेकर कई प्रकार का सबूत मौजूद हैं. बावजूद इसके शिक्षक व बीईओ की आपसी मिलीभगत से उक्त शिक्षिका का अनुपस्थिति विवरणी प्रत्येक माह बीआरसी कार्यालय पहुंचता रहा और आपसी लेन देन कर उसके वेतन की स्वीकृति भी मिलती रही.
दरअसल, प्राथमिक विद्यालय सरदार एवं शर्मा टोला में सिर्फ एक ही शिक्षक पशुपतिनाथ मिश्रा कार्यरत थे. जिसके कारण उनके द्वारा बीईओ राघोपुर से एक अतिरिक्त शिक्षक की मांग की गई थी. उसी मांग के आलोक में गत 01 अप्रैल को बीईओ राघोपुर द्वारा पत्रांक 178, दिनांक 01 अप्रैल 2022 के माध्यम से एक पत्र जारी कर यदुनाथ मध्य विद्यालय सिमराही में कार्यरत महिला शिक्षिका किरण कुमारी को प्राथमिक विद्यालय सरदार एवं शर्मा टोला परसरमा में प्रतिनियुक्त कर दिया गया. लेकिन बीआरसी में कार्यरत कर्मी एवं प्राथमिक विद्यालय सरदार एवं शर्मा टोला के प्रधानाध्यापक पशुपति नाथ मिश्रा के आपसी मिलीभगत से उक्त शिक्षिका को कभी भी विद्यालय पहुंचने का कष्ट नहीं दिया गया. लेकिन इसे अतिविश्वास ही कहा जा सकता है कि ना तो इस विद्यालय के शिक्षकोपस्थिति पंजी में कभी किरण कुमारी का हाजिरी बना और ना ही एक अनुपस्थिति विवरणी पर पशुपतिनाथ मिश्रा द्वारा उसकी उपस्थिति बीआरसी को सौंपा गया.
सबसे हैरत की बात ये रही कि किरण के प्रतिनियुक्त रहने के दौरान ही गत 23 जुलाई को बीईओ राघोपुर द्वारा प्रावि सरदार एवं शर्मा टोला परसरमा का निरीक्षण किया गया, जहां बीईओ रीता कुमारी ने शिक्षकोपस्थिति पंजी में एक ही शिक्षक की उपस्थिति अंकित रहने के बावजूद पंजी को सीन कर अपना हस्ताक्षर भी बनाया, लेकिन उन्हीं के आदेश से प्रतिनियुक्त की गई शिक्षिका के बारे में उन्होंने पूछने तक की जहमत नहीं उठाई.
हालांकि, जब ये वेतन घोटाला मीडिया के नजर में आई और पत्रकार प्राथमिक विद्यालय सरदार एवं शर्मा टोला परसरमा पहुंचे तो कई नई बातों का खुलासा हुआ. वहां के प्रधान शिक्षक पशुपतिनाथ मिश्रा ने बताया कि किरण कुमारी को इस विद्यालय में प्रतिनियुक्त करने के बाद उन्हें भी बीआरसी द्वारा कोई जानकारी नहीं दिया गया. बाद में जब वो अपनी अनुपस्थिति विवरणी जमा करने बीआरसी कार्यालय पहुंचे तो वहां जबरन उनसे एक अन्य अनुपस्थिति विवरणी पर साइन करवा लिया गया, जिस पर सिर्फ किरण कुमारी का नाम अंकित था. जिसका विरोध किए जाने पर उन्हें बीआरसी कर्मी द्वारा आश्वासन दिया गया कि यह मामला सबके जानकारी में है, आप निश्चिंत रहिए, कुछ नहीं होने देंगे.
मालूम हो कि जिलाधिकारी द्वारा निर्गत आदेश के आलोक में प्रखंड क्षेत्र के सभी विद्यालयों के सभी शिक्षकों को सुबह साढ़े नौ बजे एवं संध्या चार बजे अपनी उपस्थिति साबित करने के लिए ग्रुप फोटो शिक्षा विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप में भेजना होता है. लेकिन कर्मियों का हौसला इतना बुलंद था कि सबके मिलीभगत से इन पांच महीनों में प्राथमिक विद्यालय सरदार एवं शर्मा टोला से सिर्फ एक ही शिक्षक का फोटो ग्रुप में जाता रहा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि इतने मजबूत नियम व निगरानी के बावजूद भी इस कर्मियों द्वारा आपसी तालमेल से आखिर किस प्रकार इतना बड़ा घोटाला कर लिया गया.
जानकारी अनुसार शिक्षिका किरण कुमारी को कुल वेतन के रूप में 40,550 रुपये की राशि प्रतिमाह मिलता है. लगभग पांच महीने वो विभागीय रहमोकरम से किसी भी विद्यालय में अपना योगदान नहीं दीं. अगर इन पांच महीनों का आकलन करें तो विभागीय मिलीभगत से उनके द्वारा कुल 2,02,750 रुपये का वेतन घोटाला किया गया. वहीं अगर जानकारों की माने तो अगर प्रखंड क्षेत्र के शिक्षा व्यवस्था का किसी निष्पक्ष पदाधिकारी द्वारा जांच किया जाता है, तो इस प्रकार का कई और भी घोटाला सामने आ सकता है.
मामले को लेकर जब बीईओ रीता कुमारी से पूछने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. वहीं आरोपित शिक्षिका किरण कुमारी ने बताया कि उन्हें अलग से रजिस्टर मिला हुआ है. जिस पर वो साइन करती है. कहा कि विद्यालय नहीं जाने का आरोप गलत है, मैं विद्यालय लगातार जा रही हूं. वहीं, इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है. यह जांच का विषय है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.