भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए अब निगरानी विभाग ने सूचना देने वालों को ईनाम देने की व्यवस्था की है. सूचना सही पाये जाने पर गुप्त सेवा कोष से सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार से 50 हजार रुपये तक की प्राेत्साहन राशि दी जायेगी. वहीं कोर्ट में आरोपी का दोष सिद्ध होने पर अधिकारी की संपत्ति जब्ती आदि से सरकार को जो आय होगी उसका दो फीसदी भी दिया जायेगा.
हालांकि सूचना देने वालों के लिए अधिकतम राशि पांच लाख रुपये निर्धारित कर दी गयी है. गवाहों को भी अब ट्रेन – बस का पूरा भाड़ा देने के अलावा 200 रुपये प्रतिदिन का अलग से देने का नियम है. किस अधिकारी ने नयी कार या प्राॅपर्टी खरीदी है. कहां निवेश किया है. अफसर- कर्मचारियों की अवैध कमाई – आचरण की जानकारी जुटाने को पुलिस के तर्ज पर मुखबिर (स्रोत) रखने की व्यवस्था भी विकसित की गई है.
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इओयू ने बीते दिनों जिन सरकारी अधिकारियों- कर्मचारियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की थी, उसमें इंजीनियरों की संख्या सबसे अधिक है. दो साल पहले गोपालगंज में तैनात रहे कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग, कार्यपालक अभियंता पीएचइडी – तिरहुत नहर अंचल के एसइ, पथ निर्माण विभाग खगड़िया में तैनात रहे कार्यपालक अभियंता, मुजफ्फरपुर प्रमंडल के के भवन निर्माण विभाग के एक मंडल कार्यपालक अभियंता, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन कार्य प्रमंडल एक, पटना के एक कार्यपालक अभियंता , सोनपुर में तैनात रहे पीएचइडी के कनीय अभियंता और ग्रामीण कार्य विभाग पटना के एक कार्यपालक अभियंता आदि की संपत्ति जब्त की सिफारिश की गई थी.