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Hartalika teej Vrat: हरतालिका तीज व्रत को लेकर बाजार हुआ गुलजार, जानें पूजन विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

Hartalika teej: हरतालिका तीज व्रत कुमारी व सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. हरतालिका तीज व्रत निराहार व निर्जला की जाती है. इस बार तीज 29 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर होगा.

भागलपुर: 30 अगस्त को होने वाले तीज व्रत की तैयारी में सुहागिन महिलाएं जुट गयी हैं. बाजार में खासकर कपड़े की दुकानों, श्रृंगार दुकानों व पूजन सामग्री की दुकानों पर सामान्य दिनों से तीगुनी भीड़ बढ़ गयी है. भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव व माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है. हरतालिका तीज व्रत कुमारी व सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. हरतालिका तीज व्रत निराहार व निर्जला की जाती है.

हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 33 मिनट पर होगा. उदया तिथि के आधार पर देखा जाये, तो हरतालिका तीज 30 अगस्त को है. इस दिन जो महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी, वे सुबह 05 बजकर 58 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट के बीच भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकती हैं. यह हरतालिका तीज की प्रात:कालीन पूजा का शुभ मुहूर्त है.

राजस्थानी लहठी व जरी वर्क साड़ियों की बहार

तीज को लेकर बाजार में महिलाओं की चहल-पहल बढ़ गयी है. साड़ी, सलवार सूट व सुहाग के सामानों की बिक्री बढ़ गयी है. थोक कपड़ा कारोबारी विमल केडिया ने बताया कि तीज में काले रंग की साड़ी को छोड़ कर हरेक रंग की प्रिंटेड वर्क पट्टी वाली साड़ी, बंधेज साड़ी, नेट की साड़ी, चंदेरी सिल्क सूट, पाटन सूट महिलाओं को भा रहा है. लहठी दुकानदार बुलिया मनिहार ने बताया कि तीज व्रत को लेकर प्लेन चूड़ी व प्लेन पसंद कर रही है, हालांकि डिजाइनर जयपुरी लहठी भी कम नहीं बिक रही है. इसके अलावा जयपुरी बाला, कटिंग व फैंसी चूड़ी महिलाएं ज्यादा पसंद कर रही हैं. जयपुरी लहठी 200- 500 में, चूड़ी 18 से 50 रुपये डिब्बा उपलब्ध है.

मां पार्वती ने की थी तीज

हरि तालिका तीज व्रत में भगवान शिव, पार्वती व गणेजी जी की पूजा का विधान है. इसमें सुहागिन महिलाएं अपनी सुहाग की रक्षा के लिए एवं कुंवारी लड़कियां मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है. कोई फलाहार करती हैं तो कोई निर्जला भी रहती हैं. व्रत के बाद परायण महिला ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपना उपवास खत्म करती हैं. पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि देवी पार्वती ने भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीय हस्त नक्षत्र में तीज व्रत कर पति के रूप में भगवान शिव को प्राप्त किया था. चौर चंद में चौथी तिथि में उदित चंद्रमा को रात्रि में अर्घ दिया जाता है और दही के छांछ को आगे रख कर चंद्रमा को देखा जाता है. इसमें किया गया दान, स्नान, उपवास और अर्चन गणेश जी की कृपा से सौ गुणा हो जाता है.

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