भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से हटाने का फैसला सुर्खियों में रही थी. हालांकि, अब कहा जा रहा है कि यह निर्णय आरएसएस नेतृत्व की सहमति से लिया गया था. पार्टी सूत्रों के अनुसार, नितिन गडकरी को संघ नेतृत्व ने अपने बयानों और टिप्पणी करने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया था, जो उन्हें सुर्खियों में लाती थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के कई वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि नितिन गडकरी के बयान से विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और पार्टी पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किए. गडकरी से नाजार संघ ने समिति से हटाने का सुझाव दिया था. सूत्रों ने बताया कि अगर गडकरी आगे भी नहीं चेतत हैं, तो उनपर बड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
भाजपा अपने निर्णय से लोगों को चौंकाती रही है. ऐसा माना जाता रहा है कि पार्टी का निर्णय संघ के सुझाव के अनुरूप ही होता है. सूत्रों के अनुसार, गडकरी के बयानों से पार्टी की काफी किरकिरी हुई है. वहीं, भाजपा और संघ नेतृत्व ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संगठनात्मक आचरण के नियमों के खिलाफ नहीं जानें का इजाजत देता है. अगर पार्टी के बड़े नेताओं चाहे वे केंद्रीय मंत्री ही क्यों न हों, पार्टी और संघ नेतृत्व उनपर कार्रवाई करते रहा है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान से हाल ही में पार्टी की किरकिरी हुई थी. उन्होंने एक कार्याक्रम के दौरान यह कहा था कि वे राजनीति छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि यह शक्ति केंद्रित हो गई है और अब सार्वजनिक सेवा का साधन नहीं रह गई है. इस बयान पर भाजपा के भी कई नेताओं को आलोचना झेलनी पड़ी थी. वहीं, साल 2019 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भाजपा के हारने के तुरंत बाद गडकरी ने कहा था कि जो राजनेता लोगों को सपने बेचते हैं, लेकिन उन्हें वास्तविकता बनाने में विफल रहते हैं, उन्हें जनता द्वारा पीटा जाता है.
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मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से हटाने के सवाल पर सूत्रों ने बताया कि पार्टी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि किसी भी मुख्यमंत्री को निकाय का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा. एक सूत्र ने कहा, अब हमारे पास इतने सारे मुख्यमंत्री हैं और हम उनमें अंतर नहीं कर सकते हैं.