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पाकिस्‍तानी आतंकी ने खोल दी पाक खुफिया एजेंसी की पोल, कहा- भारत पर हमले के लिए मिले थे 30 हजार

ब्रिगेडियर कपिल राणा ने कहा कि पिछले छह साल में दूसरी बार हुसैन को सीमापार से इस तरफ घुसपैठ के प्रयास के दौरान गिरफ्तार किया गया. वह पाकिस्तानी सेना की एक खुफिया इकाई के लिए भी काम करता था.

पाकिस्‍तान कितनी ही शांति की बात कर ले लेकिन वह अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आ सकता है. एक ऐसा खुलासा हुआ है जिससे भारत का पड़ोसी मुल्‍क फिर बेनकाब हो गया. दरअसल जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में दबोचे गये पाकिस्तान के एक आतंकवादी ने पूछताछ में जो खुलासा किया है उससे पाकिस्‍तान की पाक खुफिया एजेंसी यानी आईएसआई पोल खुल गयी है. पकड़े गये आतंकी ने बताया है कि पाक खुफिया एजेंसी के एक कर्नल ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले के लिए 30,000 रुपये दिये थे. ये रुपये पाकिस्‍तानी कैरेंसी के रूप में आतंकी को दिये गये थे.

यहां चर्चा कर दें कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कोटली के सब्जकोट गांव के निवासी 32 वर्षीय तबारक हुसैन को पिछले रविवार को नौशेरा सेक्टर में गिरफ्तार किया गया था. इस संबंध में राजौरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गयी जिसमें सेना की 80 इन्फेंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर कपिल राणा ने उक्‍त जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हुसैन के साथी भारतीय सैनिकों द्वारा ललकारे जाने पर उसे छोड़कर वापस भाग गये थे.

पिछले छह साल में दूसरी बार हुसैन आया था

आगे ब्रिगेडियर कपिल राणा ने कहा कि पिछले छह साल में दूसरी बार हुसैन को सीमापार से इस तरफ घुसपैठ के प्रयास के दौरान गिरफ्तार किया गया. वह पाकिस्तानी सेना की एक खुफिया इकाई के लिए भी काम करता था. उन्होंने बताया कि 21 अगस्त को सुबह के समय झानगड़ में तैनात चौकन्ने जवानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दूसरी तरफ से दो से तीन आतंकवादियों की गतिविधि देखी.

एक आतंकवादी भारतीय चौकी के करीब आया

ब्रिगेडियर कपिल राणा ने कहा कि एक आतंकवादी भारतीय चौकी के करीब आया और उसने बाड़ काटने की कोशिश की. चौकन्ने जवानों ने उसे ललकारा. हालांकि भागने की कोशिश कर रहा आतंकवादी गोली लगने से घायल हो गया. उन्होंने कहा कि पीछे छिपे हुए दो आतंकवादी घने जंगल की आड़ में भाग निकले. घायल पाकिस्तानी आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया और तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के साथ उसकी सर्जरी की गयी.

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आतंकवादी पीओके में कोटली के सब्जकोट का रहने वाला

ब्रिगेडियर राणा ने कहा कि पकड़े गये आतंकवादी ने अपनी पहचान पीओके में कोटली के सब्जकोट गांव के रहने वाले हुसैन के रूप में की है. ज्यादा पूछताछ पर आतंकवादी ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले की अपनी साजिश को कबूल किया. हुसैन ने खुलासा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के कर्नल यूनुस चौधरी ने उसे भेजा था और 30,000 रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा) दिये थे. हुसैन ने लंबे समय से आतंकवाद से जुड़े होने की बात कबूल की है और बताया कि पाकिस्तानी सेना के मेजर रज्जाक ने उसे प्रशिक्षण दिया है.

मुझे धोखा दिया गया

आतंकी ने सेना के अस्पताल में पत्रकारों से बात की और कहा कि मुझे धोखा दिया गया (साथी आतंकवादियों द्वारा) और फिर भारतीय सेना ने मुझे पकड़ लिया. हुसैन ने बताया कि उसने छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और पाकिस्तानी सेना द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों के लिए संचालित कई आतंकवादी शिविरों में भी गया. राजौरी में सेना के अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव नायर ने कहा कि हुसैन की हालत स्थिर है. उन्होंने बताया कि वह हमारे जवानों का खून बहाने आया था लेकिन उन्होंने उसकी जान बचाई, उसे खून दिया और अपने हाथों से उसे खाना खिलाया.

अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी के समय वह चिल्ला रहा था कि मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया. भाईजान मुझे यहां से निकालो.

भाषा इनपुट के साथ

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