Hartalika Teej 2022: हरतालिका तीज त्योहार हिंदू सुहागिन महिलाओं का प्रमुख व्रत-त्योहार है. चातुर्मास अवधि के दौरान होने वाले इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए और कुंवारी कन्याएं मनपसंद पति की कामना के साथ करती है. यह व्रत अत्यंत कठिन व्रतों में से एक है जिसे निर्जला किया जाता है. इस व्रत में भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती, गणेश की पूजा की जाती है. इस सदियों पुरानी परंपरा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और राजस्थान में मनाया जाता है.
अन्य दो तीज हरियाली तीज (तृतीय तिथि को मनाया जाता है, श्रावण के पवित्र महीने में शुक्ल पक्ष) और कजरी तीज (भाद्रपद में तृतीया तिथि, कृष्ण पक्ष पर मनाया जाता है). दिलचस्प बात यह है कि इन त्योहारों को एक पखवाड़े अलग मनाया जाता है और इसलिए, भाद्रपद में तृतीया तिथि, शुक्ल पक्ष को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है. ‘तीज’ शब्द ‘तृतीय’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘तीसरा’.
हरतालिका तीज पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या बालू की मूर्ति, पीला वस्त्र, रोली, केले का पत्ता, सुपारी, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही शहद, जनेऊ और 16 श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम.
मंगलवार, अगस्त 30, 2022 को
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 29, 2022 को 03:20 बजे शाम
तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 30, 2022 को 03:33 बजे शाम
प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 05:58 सुबह से 08:31 सुबह
अवधि – 02 घण्टे 33 मिनट्स
शाम को पूजा का मुहूर्त: शाम 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा.
तीज व्रत पारण – 31 अगस्त
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हरतालिका तीज से जुड़ी किंवदंती के अनुसार, देवी पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता ने भगवान विष्णु के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. इसलिए, देवी पार्वती ने अपनी एक सखी को घने जंगल में एक सुनसान जगह में छिपने में मदद करने के लिए कहा. आखिरकार, पार्वती, जिन्होंने पहले भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, उनका ध्यान और साथ ही उनका दिल जीतने में सफल रही. इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है. विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अपने पसंद के साथी की कामना के साथ यह व्रत करती हैं.