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मुस्लिम सेंट्रल अंजुमन अध्यक्ष की हेमंत सरकार को चेतावनी, कहा- उर्दू भाषा की उपेक्षा महंगी पड़ेगी

Jharkhand News: मोहम्मद तजम्मुल हुसैन उर्फ जानी ने कहा कि उर्दू भाषा भारत की बेटी कही जाती है. उर्दू का जन्म भारत में ही हुआ, लेकिन झारखंड निर्माण के बाद सरकारें उर्दू भाषा के साथ न्याय नहीं कर सकीं. अब तो स्थिति ये है कि झारखंड सरकार उर्दू को समाप्त करना चाहती है.

Jharkhand News: उर्दू भाषा एवं अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों में सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैया से नाराज मुस्लिम व उर्दू भाषा संगठनों ने पश्चिमी सिंहभूम (West Singhbhum) के चक्रधरपुर (Chakradharpur) प्रखंड कार्यालय के समीप धरना दिया. इस दौरान बीडीओ संजय कुमार सिन्हा के माध्यम से राज्यपाल के नाम एक मांग पत्र सौंपा गया. धरना में भाजपा के वरिष्ठ नेता सह राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक षाड़ंगी भी उपस्थित रहे.

उर्दू को समाप्त करना चाहती है झारखंड सरकार

इसमें मुस्लिम सेंट्रल अंजुमन चक्रधरपुर (Muslim Central Anjuman Chakradharpur) के अध्यक्ष मोहम्मद तजम्मुल हुसैन उर्फ जानी ने कहा कि उर्दू भाषा भारत की बेटी कही जाती है. उर्दू का जन्म भारत में ही हुआ, लेकिन झारखंड निर्माण के बाद सरकारें उर्दू भाषा के साथ न्याय नहीं कर सकीं. अब तो स्थिति ये है कि झारखंड सरकार उर्दू को समाप्त करना चाहती है. उर्दू भाषा की उपेक्षा और उसे मिटाने की साजिश हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) को महंगी पड़ेगी.

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सरकार अल्पसंख्यक भाषाओं के साथ न्याय नहीं कर रही

भारतीय जनता पार्टी के नेता और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक षाड़ंगी ने कहा कि मौजूदा सरकार अल्पसंख्यक भाषाओं के साथ न्याय नहीं कर रही है. अगर जल्द सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला, तो उसे इसका खामियाजा भुगतना होगा. पिछले कुछ दिनों से उर्दू भाषा, उर्दू स्कूल व उर्दू, बंगाली, ओड़िया शिक्षकों को लेकर लगातार झारखंड में चल रहे विवाद व षड्यंत्र से मुस्लिम समुदाय और ओड़िया व बंग भाषी समाज के लोग नाराज हैं. उर्दू भाषा के साथ झारखंड सरकार ज्यादती कर रही है.

सरकार को नतीजा भुगतना होगा, राज्य में अल्पसंख्यक खफा

इंटरनेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के रीजनल वॉलेंटियर क-ऑर्डिनेटर बैरम खान ने कहा कि मीडिया की खबरों को आधार बनाकर राज्य के 350 उर्दू स्कूल के नाम से स्कूल शब्द हटा दिया गया. 509 स्कूल से शुक्रवार को होने वाली साप्ताहिक छुट्टी भी बंद करवा दी गयी. 459 स्कूल के अल्पसंख्यक छात्रों को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने पर मजबूर किया जा रहा है. सरकार उर्दू के विरोध में काम कर रही है. अफसरशाही हावी है और राजनेताओं का इसे मौन समर्थन प्राप्त है.

धरना को था इन संगठनों का समर्थन

मुस्लिम सेंट्रल अंजुमन के अलावा अंजुमन तरक्की उर्दू, खिदमत फाउंडेशन, एनएचआरसी, सफ वेलफेयर सोसाइटी, दंदासाई मुस्लिम पंचायत, पोटका मस्जिद कमेटी.

धरना में ये लोग भी शामिल हुए

शमशुल हक, हाजी अरशद अहमद खान, हाजी अब्दुल हकीम, मास्टर महफुजूर्रहमान, अंसार अहमद, मोहम्मद शाहिद, अरशद जावेद, बैरम खान, तौसीफ इकबाल, अमजद खान, मोहम्मद नईम, शकील अहमद खान, अब्बास अली, मोहम्मद नौशाद, शाह आजम, कमरूल शेख, मनाउर रहमान नूरी, फिरोज खान, इरफान खान, मजहर शम्सी, तारिक अनवर, मो मुख्तार व अन्य.

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