10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आखिर कब होगा बदलाव ? झारखंड में सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाने को लेकर हुए कई प्रयास लेकिन नतीजा रहा सिफर

झारखंड गठन के 22 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन राजधानी में ही अभी तक बेहतर कचरा प्रबंधन नहीं हो पाया है. समय-समय पर सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाने के दावे भी किये गये लेकिन आज भी सफाई व्यवस्था बदहाल है. राजधानी में कूड़ा-कचरा का ढेर लगा रहता है. यह स्थिति तब है जब नगर निगम हर वर्ष 55 करोड़ टैक्स वसूलता है.

Ranchi news: समय तेजी से बदल रहा है. साथ में रांची की तस्वीर भी बदल रही है. स्मार्ट सिटी का सपना देखा जा रहा है. सड़कों के चौड़ीकरण की योजना को धरातल पर उतारने की कोशिश की जा रही है. लेकिन एक चीज नहीं बदल रही है, वह है सफाई व्यवस्था. झारखंड गठन के 22 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन राजधानी में ही अभी तक बेहतर कचरा प्रबंधन नहीं हो पाया है. समय-समय पर सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाने के दावे भी किये गये. 22 वर्षों में सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाने के लिए देश की तीन बड़ी कंपनियां आयीं, लेकिन महज छह माह-साल भर काम करने के बाद ही उनका मोहभंग हो गया. नतीजा आज भी सफाई व्यवस्था बदहाल है. राजधानी में कूड़ा-कचरा का ढेर लगा रहता है. यह स्थिति तब है जब नगर निगम हर वर्ष 55 करोड़ टैक्स वसूलता है.

55 करोड़ टैक्स वसूलने के बाद भी यह हाल

यह हाल तब है जब नगर निगम शहर के 2.25 लाख घरों से हर साल 55 करोड़ से अधिक की राशि होल्डिंग टैक्स के रूप में वसूलता है. इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था औसत दर्जे की बनी हुई है.

झिरी डंपिंग यार्ड में कचरे का ढेर

झिरी डंपिंग यार्ड. शहर से करीब 15 किमी दूर. रांची नगर निगम शहर से निकलनेवाले कचरे को यही डंप करता है. यह सिलसिला करीब 20 वर्षों से लगातार चल रहा है़ ताजा हालात यह है कि यहां कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है. बारिश के दिनों में आसपास के लोगों के सामने बड़ी समस्या आज जाती है़ इस पहाड़ के तीन किमी के दायरे में कचरों की दुर्गंध फैल जाती है. मक्खी-मच्छरों की बात ही अलग है. आसपास रहनेवाले लोग रात-दिन घरों में मच्छरदानी लगाकर रखते हैं.

Also Read: Trade Fair 2022: आज से मोरहाबादी मैदान में लगेगा ट्रेड फेयर, पांच देशों के 300 शिल्पकार जुटेंगे

नहीं हो रहा हर घर से कूड़ा उठाव

तीन कंपनियों के विदाई होने के बाद भी आज राजधानी की जनता कूड़े-कचरे के साथ रहने को विवश है. प्रतिदिन डोर टू डोर कूड़ा का उठाव नहीं होता है. किसी-किसी मोहल्ले में तो सप्ताह में एक दिन कूड़ा उठानेवाली गाड़ी आती है. वह भी आधे-अधूरे घरों से कूड़ा उठाकर चली जाती है. नतीजा लोग अपने घरों से निकलने वाले कूड़े को खुले जगहों व नालियों में फेंकने को विवश हैं.

जिम्मेदारों के बीच विवाद बनी बाधा

योजनाबद्ध विकास कार्य के लिए जरूरी है जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल, लेकिन रांची नगर निगम में हमेशा इसका उलट रहा. पिछले छह सालों के कार्यकाल को देखें, तो यहां कभी मेयर-डिप्टी मेयर, तो कभी मेयर-नगर आयुक्त के बीच विवाद होता रहा है. नतीजा सबके सामने है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें