Ranchi news: समाज की व्यथा को मौन कर दिया गया है. जोसेफ की इसी कशमकश को मंगलवार को एसडीसी में आयोजित अबुआ दिशुम नाट्य महोत्सव में पेश किया गया. रंगमंच पर ‘जोसफिंटे रेडियाे’ यानी जोसेफ का रेडियो से महोत्सव का आगाज हुआ. जोसेफ के किरदार में जयचंद्रण थाक्जिकरण ने अपनी 2500 वीं प्रस्तुति दी. थेसपीयन थिएटर केरल और केआर रमेश के निर्देशन में मलयालम नाटक से रेडियो कैसे आज भी ग्रामीणों के मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन का माध्यम है, उसे बखूबी पेश किया है.
रंगमंच को जीवंत रखने की बात
मुख्य अतिथि उषा साहू ने नाटक को अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बताया. वंदना टेटे ने समाज को आइना दिखाने के लिए रंगमंच को जीवंत रखने की बात कही. महोत्सव का दूसरा नाटक जमशेदपुर के झारखंड सांस्कृतिक मंच ने पेश किया. शिवलाल सागर के निर्देशन और सुनिज राज की रचना पर आधारित हिंदी नाटक ‘संबोधन’ का मंचन हुआ. इसमें रिश्ते और संबोधन के फर्क को पिता-पुत्र और पति-पत्नी ने साझा किया. 55 मिनट के नाटक ने लोगों को पारिवारिक परिवेश में बांधे रखा और रिश्ते की मजबूती को बनाये रखने की सीख दे गया. महोत्सव में लाइट और साउंड की व्यवस्था संबलपुर के कलाकार प्रशांत महाराणा ने की़ महोत्सव बुधवार काे भी जारी रहेगा. शाम छह बजे से दो नाटक – ‘लाल पाइन’ और ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का मंचन होगा.