चंडीगढ़ में 15 अगस्त को सड़क हादसे में जान गंवाने वाली 15 वर्षीय एक लड़की के अंगों से छह लोगों की जान बचाई गई है. इसमें बिहार के भागलपुर की एक महिला भी शामिल हैं जिनमें लड़की का दिल प्रत्यारोपित किया गया है. 32 वर्षीय महिला ने बच्चे को जन्म दिया था जिसके बाद उनके दिल ने लगभग काम करना बंद कर दिया था. उनका हृदय प्रत्यारोपण सोमवार को यहां डॉ राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान में किया गया.
New Delhi: ABVIMS, Dr RML Hospital conducts first heart transplant on a 32-year-old woman
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— ANI Digital (@ani_digital) August 24, 2022
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि लक्ष्मी देवी को सांस लेने में परेशानी हो रही थी और उनकी यह समस्या इतनी ज्यादा थी कि वह रोजमार्रा के काम भी नहीं कर पा रही थी. बयान के मुताबिक, आरएमएल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने उनकी जांच की और उन्हें हृदय प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी जिसके बाद राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) में उनका पंजीकरण कराया गया.
बयान में कहा गया है कि अंग दान करने वाली लड़की बसु 15 अगस्त को सड़क हादसे में बुरी तरह से जख्मी हो गई थी और उसे चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था. बयान में कहा गया है कि उसे 20 अगस्त को ‘ब्रेन डेड’ (दिमागी रूप से मृत) घोषित कर दिया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया ताकि उनके अंग काम करते रहें.
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चंडीगढ़ अस्पताल में प्रत्यारोपण समन्वयक ने दिहाड़ी मजदूरी करने वाले उसके पिता अजो मांजी की काउंसलिंग की और वह जरूरतमंद लोगों को बसु के सारे अंग दान करने को राज़ी हो गए. बयान में कहा गया है कि सूचना मिलने पर डॉ नरेंद्र सिंह झाझरिया के नेतृत्व में आरएमएल अस्पताल और एम्स के ‘कार्डियक सर्जन’ की एक टीम 21 अगस्त की शाम को पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ पहुंची और बसु के ह्रदय को निकाला और उसे तेजी से दो घंटे के अंदर दिल्ली लाया गया. बयान में कहा गया है कि दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल में यह पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण है.
(भाषा- इनपुट के साथ)