नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल के अंत तक डिजिटल रुपया सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) को जारी कर सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश किए गए बजट के दौरान अपने भाषण इस डिजिटल करेंसी को जारी करने का ऐलान किया था. उन्होंने इस डिजिटल करेंसी को चाले वित्त वर्ष 2022-23 में ही पेश करने की बात कही थी. अब मीडिया की रिपोर्ट्स में इस बात की चर्चा की जा रही है कि आरबीआई इस डिजिटल रुपये को जल्द ही लॉन्च करने जा रहा है. बताया यह भी जा रहा है कि डिजिटल करेंसी सीबीडीसी (CBDC) को सबसे पहले थोक कारोबार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
बता दें कि भारत में डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी की काफी अधिक मांग है. हालांकि, आरबीआई आरंभ से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध करता रहा है. इसके खिलाफ केंद्रीय बैंक ने पिछले साल के अक्टूबर में ही सरकार के सामने भारत का अपना डिजिटल करेंसी का प्रस्ताव रखा था.
आरबीआई के प्रस्ताव के अनुसार, सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की ओर से जारी होने वाला वैध डिजिटल करेंसी है. यह फिएट करेंसी (कागजी नोट या धातु के सिक्कों) के समान ही हस्तांतरणीय है. केवल इसका रूप ही अलग है.
भारत की मुद्रा रुपये के नोटों और सीबीडीसी में कोई फर्क नहीं है. नोट कागजी तौर पर बाजार के चलन में हैं, तो सीबीडीसी डिजिटल करेंसी के तौर पर बाजार में लॉन्च की जाएगी. ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग करके डिजिटल फिएट मुद्रा या सीबीडीसी का लेन-देन किया जा सकता है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, आरबीआई ने भारत में कानूनी तौर पर अमान्य क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए डिजिटल करेंसी सीबीडीसी को लॉन्च करने का प्रस्ताव सरकार को दिया. बताया यह जा रहा है कि उसका यह प्रस्ताव बिटक्वाइन से प्रेरित था.
हालांकि, मीडिया की रिपोर्ट्स में इसे वर्चुअल करेंसी बिटक्वाइन और क्रिप्टोकरेंसी से बिल्कुल अलग बताया जा रहा है. बिटक्वाइन और क्रिप्टोकरेंसी को सरकार की ओर से जारी नहीं किया जाता है और भारत में कानूनी तौर पर इनका लेनदेन वैध भी नहीं है.
आरबीआई की ओर से पेश किए जाने वाले सीबीडीसी से उपभोक्ता घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन कर सकेंगे. इसका इस्तेमाल करने के लिए तीसरी पार्टी या फिर किसी बैंक की जरूरत नहीं पड़ेगी.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले साल ही संसद सत्र के दौरान लोकसभा में जानकारी दी थी कि सीबीसीडी को शुरू करने के बाद उपभोक्ताओं को कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे. उन्होंने बताया कि सबसे पहले नकदी पर निर्भरता होगी. इसके बाद लेनदेन की लागत में कमी आएगी और निपटान जोखिम में गिरावट दर्ज की जाएगी.
सीबीडीसी के आने से अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और लीगल टेंडर-आधारित भुगतान विकल्प भी बनेंगे. उन्होंने सदन को बताया कि हालांकि, इससे जुड़े जोखिम भी हैं, जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की जरूरत है.
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