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उम्र अधिक और कक्षा कम, बिहार में ऐसे लाखों बच्चों की होगी स्पेशल पढ़ाई, केंद्र ने मजूर किया फंड

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाई का विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. यह वह बच्चे होंगे जो परिस्थितियों वश उम्र की तुलना में कम दर्जे की कक्षाओं में पढ़ते हैं. चिह्नित किये गये इन विशेष बच्चों को उसकी उम्र के सापेक्ष पढ़ाई में प्रशिक्षित किया जायेगा.

बिहार के कक्षा एक से आठ तक के सरकारी स्कूलों के 1.26 लाख से अधिक बच्चों को पढ़ाई का विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. यह वह बच्चे होंगे, जो परिस्थितियों वश उम्र की तुलना में कम दर्जे की कक्षाओं में पढ़ते हैं. उदाहरण के लिए आठ साल का बच्चा कक्षा और दस साल का बच्चा 10 और 15 साल का बच्चा कक्षा आठ में पढ़ता हो.

उम्र के हिसाब से पढ़ाई में प्रशिक्षित किया जायेगा

चिह्नित किये गये इन विशेष बच्चों को उसकी उम्र के सापेक्ष पढ़ाई में प्रशिक्षित किया जायेगा. इसके लिए केंद्र ने 42 करोड़ से अधिक का फंड मंजूर किया है. शिक्षा विभाग एक विशेष योजना के तहत ऐसा करने जा रहा है. इसके लिए केंद्र ने फंड भी उपलब्ध कराया है. इन्हें उम्र के सापेक्ष विशेष ट्रेनर उन्हीं के स्कूल में सिखायेंगे. इसके बाद वह अपने उम्र के सापेक्ष कक्षाओं में नामांकित भी कराये जा सकते हैं. फिलहाल सितंबर माह से इन बच्चों की विशेष पढ़ाई शुरू हो जायेगी.

विशेष ट्रेनिंग की जरूरत

हालांकि विशेष पढ़ाई के लिए चिह्नित किये गये बच्चे सभी जिलों में हैं. लेकिन सर्वाधिक सर्वाधिक बच्चे छह जिलों में हैं. जिनकी संख्या पांच हजार से अधिक है. कुछ जिलों में तो ऐसे बच्चों की संख्या दस हजार पार भी है. इस श्रेणी के सर्वाधिक बच्चे कटिहार में 16700 से अधिक हैं. इसके बाद जहानाबाद में 11348, औरंगाबाद में 10008 , सीतामढ़ी में 6326, सहरसा में 5220 और मधुबनी में 5190 बच्चे हैं. जिन्हें विशेष ट्रेनिंग की जरूरत है.

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विशेष तथ्य

  • 1.26 लाख बच्चों को उम्रवार पढ़ाई में दक्ष किया जायेगा. केंद्र ने बजट 1.22 लाख बच्चों मंजूर किया गया है. शेष को राज्य सरकार अपने मद से पढ़ायेगी.

  • 79 हजार से अधिक बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें पढ़ाई में विशेष दक्षता पर छह माह के लिए प्रतिमाह तीन हजार रुपये दिये जायेंगे.

  • शेष 43 हजार से अधिक बच्चे जिनकी वर्तमान कक्षा और उम्र के सापेक्ष काफी कम है, उनकी ट्रेनिंग माह की होगी. इसमें प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपये खर्च किये जाने हैं.

  • इस तरह के बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक नियुक्ति किये जाने हैं. उन्हें ट्रेंड किया जा चुका है.

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