Dr Ramdayal Munda’s Birth Anniversary: स्व डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती आज यानी 23 अगस्त को है. रांची जिले के बुंडू देवड़ी गांव से डॉ रामदयाल मुंडा ने संसद तक का सफर तय किया. बुंडू अनुमंडल स्थित रांची टाटा मार्ग पर तमाड़ प्रखंड के देवड़ी गांव में आदिवासी परिवार में जन्मे डॉ रामदयाल मुंडा झारखंड ही नहीं पूरे देश में जनजातीय समुदाय में एक गहरी छाप छोड़ चुके हैं.
चिंतक व संस्कृतिकर्मी डॉ रामदयाल मुंडा का जन्म 23 अगस्त 1939 को हुआ था. उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए रांची व दिल्ली सहित यूएनओं में आवाज उठायी थी. उन्होंने दुनियाभर के आदिवासी समुदायों के बीच समन्वय व संवाद स्थापित करने के लिए काम किया था. उन्होंने झारखंड में जमीनी सांस्कृतिक आंदोलनों को नेतृत्व प्रदान किया था. 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला. 2010 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था. वे राज्यसभा सांसद व रांची विवि के कुलपति भी रहें.
वो अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाविद, समाजशास्त्री, आदिवासी बुद्धिजीवी और साहित्यकार के साथ-साथ एक अप्रतिम आदिवासी कलाकार भी थे. उन्होंने मुंडारी, नागपुरी, पंचपरगनिया, हिंदी, अंग्रेजी में गीत-कविताओं के अलावा गद्य साहित्य की भी रचना की थी. विश्व आदिवासी दिवस मनाने की परंपरा शुरू करने में पद्मश्री डॉक्टर रामदयाल मुंडा का अहम योगदान रहा है.
आदिवासियों की अद्वितीय संस्कृति से दुनिया को परिचित कराने वालों में महान विद्वान, सांस्कृतिकर्मी एवं रंगकर्मी डॉ रामदयाल मुंडा का नाम आता है. डॉ मुण्डा का आदिवासी समाज में काफी सम्मान है. दक्षिण भारत हो, मध्य भारत हो या पूर्वोत्तर भारत. भारतीय राजनीति में आदिवासी नेतृत्व उभर नहीं पाया. उसकी भरपाई डॉ मुण्डा ने एक सांस्कृतिक नेता के रूप में की थी.
रामदयाल मुंडा ने झारखंड में जमीनी सांस्कृतिक आंदोलनों को नेतृत्व प्रदान किया था. 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी का सम्मान मिला. 2010 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था. वे राज्यसभा सांसद व रांची विवि के कुलपति भी रहे़