बिहार के 32 नगर निकायों में ठोस कचरे के निबटारे में पर्यावरणीय मंजूरी बड़ी समस्या बन गयी है. वैज्ञानिक पद्धति से कचरा निबटान की व्यवस्था नहीं होने से सिया (स्टेट इन्वायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी) सहित अन्य पर्यावरण संबंधित संस्थाओं ने इन निकायों के कचरा प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया है.
इसको देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग ने पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली प्रतिष्ठित निजी संस्था का सहयोग लेने का फैसला लिया है. यह संस्था न सिर्फ सलाह देगी, बल्कि आवश्यक दस्तावेज तैयार कर पर्यावरणीय मंजूरी दिलाने का भी काम करेगी. कार्य का हर चरण पूरा करने पर एजेंसी को भुगतान होगा.
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक चयनित निजी एजेंसी इन निकायों के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (इआइए) और पर्यावरण प्रबंधन प्लान (इएमपी) तैयार करेगी. उनके द्वारा निकायों से हर दिन निकलने वाले ठोस कचरे का आकलन करते हुए उसके निबटारे में पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव व उसे कम करने की रिपोर्ट तैयार की जायेगी.
एजेंसी पर्यावरण की दृष्टि से स्वीकार्य योजना, उसके टर्म ऑफ रेफरेंसेज, प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट आदि का ड्राफ्ट तैयार करते हुए उसे संबंधित पर्यावरणीय एजेंसी को सबमिट करेगी और अंतिम रूप से पर्यावरणीय मंजूरी दिलाने का काम करेगी. एजेंसी इआइए अधिसूचना के अनुसार जन सुनवाई आयोजित करने में भी सहायता देगी.
परसा बाजार, नबीनगर, बिक्रमगंज, पूर्णिया, भागलपुर, सुल्तानगंज, ठाकुरगंज, घोघरडीहा, बाढ़, कोआथ, मीरगंज, इस्लामपुर, मोतिहारी, मैरवा, जमुई, अररिया, राजगीर, कांटी, हिसुआ, सीतामढ़ी, केसरिया, दरभंगा, शेखपुरा, चकिया, बरौली, बहादुरगंज, मुंगेर, सुगौली, डेहरी, बांका, नवादा, हिलसा.
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खाद्य (गीला) कचरा, सूखा कचरा, गली-मुहल्ले का कचरा, मृत जानवर, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट, घरेलू खतरनाक अपशिष्ट.