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सुप्रीम कोर्ट ने AIFF चुनाव पर एक सप्ताह के लिए लगायी रोक, प्रशासकों की समिति को किया बर्खास्त

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय फुटबॉल महासंघ के चुनाव पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी है. साथ ही दो महीने पहले नियुक्त प्रशासकों की समिति को बर्खास्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फीफा की ओर से लगाये गये बैन को समाप्त करने के लिए पूर्व आदेश में बदलाव किया जा रहा है.

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के कामकाज के संचालन के लिये दो महीने पहले नियुक्त तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति को बर्खास्त माना जाये. समिति के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे थे. न्यायालय ने कहा कि भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप के आयोजन और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा) द्वारा एआईएफएफ पर लगाया निलंबन रद्द कराने के लिए अपने पूर्व आदेश में बदलाव किया है.

चुनाव एक सप्ताह के लिए स्थगित

न्यायालय ने 18 मई को राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल की अध्यक्षता वाली प्रबंध समिति को हटाकर तीन सदस्यीय समिति की नियुक्ति की थी जिसमें दवे के अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाय कुरैशी, भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली थे. न्यायमूर्ति डी वाय चंद्रचूड और ए एस बोपन्ना की पीठ ने 28 अगस्त को होने वाले चुनाव एक सप्ताह के लिये स्थगित कर दिये हैं ताकि मतदाता सूची में बदलाव और नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत हो सके.

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फीफा की मांग के अनुसार हो चुनाव 

पीठ ने कहा कि एआईएफएफ चुनाव के लिये मतदाता सूची में प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश संघों के 36 प्रतिनिधि होने चाहिए जैसा कि फीफा ने मांग की है. न्यायालय ने फीफा से बातचीत के बाद पूर्व आदेश में बदलाव की खेल मंत्रालय की अपील पर यह आदेश दिया. उच्चतम न्यायालय ने कहा अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के चुनाव के लिए सीओए के द्वारा नियुक्त चुनाव अधिकारी उमेश सिन्हा और तपस भट्टाचार्य को अदालत द्वारा नियुक्त माना जायेगा.

सचिव संभालेंगे कामकाज

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के दैनिक कामकाज को निकाय के कार्यवाहक महासचिव संभालेंगे. इस अदालत के आदेश प़र नियुक्त प्रशासकों की समिति को बर्खास्त माना जाये. पीठ ने यह भी कहा कि सीओए एआईएफएफ के संविधान का मसौदा 15 जुलाई 2022 को जमा कर चुका है लिहाजा वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को न्यायमित्र के तौर पर सहायता के लिये नियुक्त किया. पीठ ने यह भी कहा कि वह हालात की गंभीरता को समझती है लेकिन देश के व्यापक हितों में इस साल के आखिर में होने वाले विश्व कप को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट का दिया उदाहरण

इसने कहा, अगर यह क्रिकेट होता और न्यायालय के फैसले के कारण विश्व कप रद्द हो जाता तो सभी हमें निशाना बनाते और कहते कि हमारी वजह से ऐसा हुआ. हम यहां सब कुछ समझते हैं लेकिन हमारी चिंता यही है कि अंडर 17 महिला विश्व कप भारत में हो. केंद्र की ओर से पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर फैसले में बदलाव नहीं किया गया तो इसके दो गंभीर परिणाम होंगे. भारत को भविष्य में किसी फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी नहीं मिलेगी और हमारी टीमें दुनिया भर में नुमाइशी मैच भी नहीं खेल सकेंगी. उन्होंने कहा कि भारत के साथ पक्षपात नहीं किया गया है क्योंकि तीसरे पक्ष के दखल को लेकर फीफा की दुनिया भर में समान नीति है. इसने कहा कि एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में 23 सदस्य होंगे जिनमें छह नामचीन खिलाड़ी (दो महिला खिलाड़ी) होंगे.

FIFA से बात करेगी केंद्र सरकार

न्यायालय ने 17 अगस्त को केंद्र से एआईएफएफ पर फीफा का लगाया निलंबन रद्द कराने और भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप की मेजबानी सुनिश्चित कराने के लिये सक्रिय भूमिका निभाने को कहा था. फीफा ने 16 अगस्त को भारत को करारा झटका देते हुए तीसरे पक्ष के गैर जरूरी दखल का हवाला देकर एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था और यह भी कहा था कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत में अंडर 17 महिला विश्व कप का आयोजन नहीं हो सकता. अंडर 17 महिला विश्व कप 11 से 30 अक्टूबर के बीच होना है.

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