26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Tourism: छुट्टियों में रानीखेत घूमने का हो प्लान तो जान लें मशहूर जगहों के बारे में

रानीखेत भारत के उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है. यहां का प्रमुख आकर्षण घंटियों वाला झूला देवी मंदिर है. यहां बंधी हजारों घंटियां देख कर कोई भी अभिभूत हो सकता है. अगर छुट्टियों में रानीखेत घूमने का हो प्लान तो जान ले..

दीपक दुआ

समीक्षक टिप्पणीकार

रानीखेत का प्रमुख आकर्षण है घंटियों वाला झूला देवी मंदिर. मां दुर्गा के इस छोटे-से शांत मंदिर में श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर छोटी-बड़ी घंटियां चढ़ाते हैं. यहां बंधी हजारों घंटियां देख कर कोई भी अभिभूत हो सकता है. इस मंदिर से कुछ ही कदम पर सीढ़ियां चढ़ कर एक राम मंदिर भी है. रानीखेत में हों और केआरसी म्यूजियम न देखें, यह मुमकिन नहीं. कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर की गौरव गाथा बयान करते केआरसी म्यूजियम को और केआरसी कम्युनिटी सेंटर में स्थित शॉल फैक्टरी में महिलाओं को हथकरघे पर शॉलें बुनते हुए देखना एक यादगार अनुभव हो सकता है.

रानीखेत की सैर

रानीखेत की शांति मन मोहने लगती है. गर्मी की छुट्टियां हों, सर्दी के गुनगुने दिन या लंबे सप्ताहांत, पर्यटकों की आवक से हैरान रह जाने वाले उत्तराखंड के नैनीताल से सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी पर बसे रानीखेत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह जगह अपने अनोखे शांत वातावरण, खुशबूदार आबो-हवा और आंखों के साथ मन को भी लुभाते दृश्यों के लिए जानी जाती है. महानगरों से आने वाले पर्यटकों यहां की शांत और ठहरी हुई-सी जीवनशैली देख कर अचरज भी हो सकता है. यही कारण है कि यहां आने वाले ज्यादातर पर्यटक यहां पर घूमने की बजाय कुछ समय आराम से रहने के उद्देश्य से अधिक आते हैं.

रानीखेत क्यों पड़ा इस जगह का नाम

कहा जाता है कि कुमाऊं अंचल के महाराजा सुधरदेव की रानी पद्मिनी को समुद्र तल से 1869 मीटर की ऊंचाई पर बसी यह जगह इतनी भायी थी कि उन्होंने यहां पर अक्सर आना और रहना शुरु कर दिया था. इसीलिए इस जगह का नाम रानीखेत पड़ा. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटिश फौजी अफसरों ने भारत की गर्म आबो-हवा से निढाल होकर यहां की कई पहाड़ी जगहों को अपना ठिकाना बनाया था. रानीखेत तो उन्हें इतना रास आया था कि यहां पर उन्होंने कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर का मुख्यालय ही स्थापित कर दिया. आज भी यहां हर ओर सेना के जवान और सेना से संबंधित भवन नजर आते हैं.

उपट कालिका के नाम से जाना जाता है गोल्फ कोर्स

रानीखेत का सबसे बड़ा आकर्षण उपट कालिका के नाम से जाना जाने वाला यहां का गोल्फ कोर्स है. चीड़ और देवदार के घने वृक्षों से घिरे इस लंबे-चौड़े शांत मैदान की चुप्पी तभी टूटती है, जब सैलानियों से भरी बसें या गाड़ियां यहां आकर रुकती हैं. बच्चे तो बच्चे, बड़ों का मन भी यहां आकर उछल-कूद और अठखेलियां करने का हो उठता है. यहां पास ही एक प्राचीन काली-दुर्गा मंदिर भी है. चौबटिया गार्डन को देखे बिना रानीखेत की यात्रा अधूरी है. काफी लंबा-चौड़ा यह पार्क असल में फलों के रिसर्च का एक सरकारी केंद्र है. यहां पर सेब, अखरोट, खुमानी जैसे ढेरों फलों के पेड़ हैं. आप चाहें, तो यहां अपने-आप भी घूम सकते हैं, लेकिन काफी कम फीस देकर यहां मौजूद गाइड की सेवाएं ली जाएं, तो वह आपको पार्क के विभिन्न हिस्सों और यहां मौजूद पेड़-पौधों, अनोखी वनस्पतियों और पक्षियों आदि के बारे जानकारी देते हुए जंगल-वॉक करा सकते हैं.

घंटियों वाला झूला देवी मंदिर आकर्षण का केंद्र

रानीखेत का प्रमुख आकर्षण है घंटियों वाला झूला देवी मंदिर. मां दुर्गा के इस छोटे-से शांत मंदिर में श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर छोटी-बड़ी घंटियां चढ़ाते हैं. यहां बंधी हजारों घंटियां देख कर कोई भी अभिभूत हो सकता है. इस मंदिर से कुछ ही कदम पर सीढ़ियां चढ़ कर एक राम मंदिर भी है. कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर की गौरव गाथा बयान करते केआरसी म्यूजियम को और केआरसी कम्युनिटी सेंटर में स्थित शॉल फैक्टरी में महिलाओं को हथकरघे पर शॉलें बुनते हुए देखना यादगार अनुभव हो सकता है.

भालू डैम मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध

रानीखेत के आसपास निकलें, तो चौबटिया गार्डन से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित भालू डैम मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध है. रानीखेत से करीब चार किलोमीटर दूर चिलियानौला में संत हेड़ा खान का शांत आश्रम पर्यटकों को इसलिए भी लुभाता है क्योंकि यहां से विशाल हिमालय रेंज साफ देखी जा सकती है. नंदा देवी पर्वत तो यहां से बस सामने ही नजर आता है. यहां स्थापित एक मेजनुमा शेल्फ बताती है कि आपके सामने सीना ताने खड़े हिमालय की कौन-सी चोटी किस दिशा में है. रानीखेत से यदि जिम कॉर्बेट के रास्ते से होकर लौटें, तो कोई 18 किलोमीटर दूर देवदार के घने जंगल में स्थित बिनसर महादेव के भव्य मंदिर को भी देखा जा सकता है.

कई दिन तक रहने आते हैं सैलानी

चूंकि यहां बहुत सारे सैलानी आबो-हवा बदलने और स्वास्थ्य लाभ के लिए कई दिन तक रहने के इरादे से भी आते हैं, इसलिए कई होटलों के कमरों में रसोई भी होती है. कुमाऊं मंडल विकास निगम के भी कई पर्यटक आवास गृह हैं. अगर चिलियानौला स्थित इनके हिमाद्रि पर्यटक आवास गृह में ठहरें, तो सुबह-शाम कुदरत के अद्भुत नजारे काफी करीब से देख पायेंगे. रानीखेत के बाजार से ऊनी कपड़े, शॉल आदि ले सकते हैं. केआरसी कम्युनिटी सेंटर से वहीं की बुनी हुई शॉलें ली जा सकती हैं. इस सेंटर को होने वाली आमदनी से शहीद सैनिकों के परिवारों की मदद होती है. चौबटिया गार्डन में पैदा होने वाले फल और उनसे तैयार जैम, शर्बत आदि वहीं खरीदे जा सकते हैं. पहाड़ी फल और उनसे तैयार ये चीजें यहां सब जगह मिलती हैं.

रानीखेत से नजदीकी एयरपोर्ट है पंतनगर

रानीखेत से नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है, जो 120 किलोमीटर दूर है. नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम यहां से 80 किलोमीटर दूर है. यहां से रानीखेत के लिए बस, टैक्सी आदि मिल जाती हैं. सड़क मार्ग से रानीखेत की दिल्ली से दूरी 350 किलोमीटर की है, जिसे बस या टैक्सी से नौ-दस घंटे में तय किया जा सकता है. रानीखेत चूंकि सैन्य-क्षेत्र है, इसलिए यहां चैकिंग वगैरह काफी होती है. बेहतर होगा, अपना कोई फोटो पहचान-पत्र हमेशा साथ लेकर चलें. यहां का बाजार काफी जल्दी बंद हो जाता है, इसलिए शाम को शॉपिंग, खाना आदि जल्दी निबटा लें. जब भी रानीखेत आएं, अपने गर्म कपड़े लाना न भूलें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें