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Bihar: अधिक उपज के लिए गन्ने की फसल में किसान जरूर करें ये काम, जानें गन्ने को गिरने से बचाने का उपाय

Farming: इस समय तापमान एंव आद्रर्ता अधिक होने के कारण गन्ने में बीमारियों एवं कीड़ों का प्रकोप अधिक होता है. अधिक पत्तियों एवं कल्ले होने के कारण दिन के समय भी अंधेरा जैसा दिखता है. जिससे कीड़ों के छिपे होने से इसका प्रकोप बढ़ जाता है.

बिहार में चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योगों में प्रमुख है, जो गन्ना के सफल खेती पर निर्भर करता है. गन्ना की खेती बिहार में लगभग 3.0 लाख हेक्टेयर भूमि में होती है. गन्ना उत्पादक जिलों में लगभग 40 प्रतिशत जल-जमाव वाले क्षेत्र हैं. जहां अधिक वर्षा होने पर जल-जमाव की समस्या गंभीर हो जाती है. जहां जल-जमाव नहीं भी होता है वहां बरसात के समय गन्ने की जड़ों में वर्षा के पानी से जड़ों के निकट मिट्टी घुल जाती है. ऐसी स्थिति में हवा तेज बहने के कारण गन्ना गिर जाता है. गन्ने की फसल को गिरने सेबचा कर ही किसान अपना मुनाफाबढ़ा सकते हैं. आइए जाने गन्ने की फसल को गिरने सेबचाने के उपाए…

गन्ने को गिरने से बचाए

बिहार में गन्ने उत्पादक वाले क्षेत्र लगभग 40 प्रतिशत जल-जमाव वाले हैं. जहां जल-जमाव नहीं है, वहां बरसात के समय गन्ने की जड़ों के निकट मिट्टी घुल जाती है. ऐसी स्थिति में हवा तेज बहने से गन्ने के पेड़ गिर जाते हैं. जिससे उपज में तो कमी आती ही है उसके रस में चीनी की मात्रा में काफी कमी आ जाती है. किसान अपने गन्ने में मिट्टी चढ़ाने का कार्य जुलाई महीने तक समाप्त कर लिये होंगे. अब समय है गन्ने की बंधाई (स्तंभन) का. तीन फीट की दूरी पर रोपे गये गन्ने की सूखी एवं कुछ हरी पत्तियों को मिलाकर रस्सी बनायी जाती है, एवं दो पंक्तियों के गन्ने को मिलाकर बांधा जाता है. इससे गन्ने की चार पंक्तियों को दो-दो पंक्तियों में बांधने के उपरांत हवा के निकलने का रास्ता बन जाता है, जिससे गन्ने नहीं गिरते.

बीमारियों का करें उपाय

जुड़वा पंक्ति विधि से रोपे गये गन्ने में जुड़वा पंक्ति के बीच चार फीट जगह रखी जाती है. इसमें शरदकालीन रोप में या बसंतकालीन रोप में अंतर्वर्ती फसल भी ली जाती है. अंतर्वर्ती फसल की कटाई के उपरांत खाली जगह में घास व अवांछित पौधे उग आते हैं, इसके अंतर्कर्षण हेतु पॉवर वीडर या पॉवर टिलर का उपयोग किया जाता है. जिससे उपज एवं रस में चीनी की मात्रा में बढ़ोतरी होती है. अक्तूबर महीने से तापमान में कमी होने लगती है, जो गन्ना के पोर में शर्करा के जमा होने के लिए उपयुक्त होती है. अतः उचित प्रकाश संश्लेषण से चीनी की मात्रा बढ़ जाती है. इस समय तापमान एंव आद्रर्ता अधिक होने से कई प्रकार की बीमारियों का बढ़ना भी स्वभाविक है.

आद्रर्ता से बीमारियां व कीड़े होते है

इस समय तापमान एंव आद्रर्ता अधिक होने के कारण गन्ने में बीमारियों एवं कीड़ों का प्रकोप अधिक होता है. अधिक पत्तियों एवं कल्ले होने के कारण दिन के समय भी अंधेरा जैसा दिखता है जिससे कीड़ों के छिपे होने से इसका प्रकोप बढ़ जाता है. प्रकाश का सही संचरण न होने से कई प्रकार के बीमारियों का बढ़ना भी स्वभाविक है. अतः किसानों को यह सुझाव दिया जाता है कि गन्ने की उचित बंधाई करें एवं एक निश्चित अंतराल पर यानी सप्ताह में कम से कम दो दिन अपने गन्ने की खेत का अवलोकन करते रहें. यदिबंधाई समय पर करने सेयह भी पता चल जाता है कि गन्ने की फसल में कीड़ों व बीमारियों का प्रकोप तो नहीं हो रहा है. यदि कीड़े व बीमारियों का प्रकोप पाया जाता है तो तत्काल उचित कीटनाशक एवं फफूंदनाशक दवा के छिड़काव में भी सहुलियत होती है.

संतुलित खाद का प्रयोग

ऐसा देखा जाता है कि 150 किलोग्राम नेत्रजन, 85 किलोग्राम स्फुर एवं 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर अनुशंसित खाद का प्रयोग किसान नहीं करते हैं. कभी-कभी नेत्रजनीय खाद का अधिक प्रयोग किये जाने से गन्ना की बढ़वार अधिक हो जाती है. पतले गन्ना के पेड़ में खेत में खड़े रहने का सामर्थ्य कम हो जाता है और गन्ना गिर जाता है. स्फुर एवं पोटाश की सही मात्रा का प्रयोग नहीं होने पर भी गन्ना में गिरने की प्रवृति आ जाती है. पोटाश की सही मात्रा में प्रयोग करने पर गन्ने में संतुलित बढ़वार होती है, साथ ही रोगों, कीड़ों व अन्य अजैविक परिस्थिति यथा जल-जमाव, जल अभाव, लवनीय व क्षारीय मिट्टी एवं अन्य परिस्थितियों से लड़ने की क्षमताबढ़ जाती है. अतः किसान गन्ने की खेती से भरपूर लाभ लेने हेतु उसे इस समय अत्यधिक वर्षा व तेज हवा सेगिरने से बचाव को लेकर बंधाई करें एवं रोप के समय संतुलित खाद का प्रयोग करे.

गड्ढा विधि

गड्ढा विधि से गन्ने की रोप करने से जड़े जमीन के अधिक नीचे तक रहती है, जिससे वह नहीं गिरती है. अगस्त के महीने में गन्ने की बढ़वार सबसे अधिक होती है. किसानों को सुझाव दिया जाता है कि ईंख अनुसंधान संस्थान, पूसा सेविकसित पत्ती-रस्सी विधि से गन्ने की बंधाई (स्तंभन) करें साथ ही ऊपर बताये गये विधियों का उपयोग कर अपने गन्नों को गिरने से बचाने के साथ-साथ कीड़ों एवं बीमारियों से भी बचाव करें. गन्ने के बंधाई करने से लत्तर वाले अवांधित पौधे भी निकाल दिये जाते हैं. जिससे गन्नों को लत्तर वाले जंगली पौधे से भी बचाया जा सकता है. अतः गन्ने की खेती में उपरोक्त उपायों का प्रयोग करते हुए समय पर गन्ने की बंधाई करें एवं उचित लाभ उठावें.

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