14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रेनकोजी मंदिर से ‘अस्थियों’ को भारत लाना चाहती हैं नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ

अर्थशास्त्री फाफ ने आगे कहा, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती. कुछ लोग नेताजी के जीवन व उससे जुड़े रहस्यों में राजनीतिक लाभ देखते हैं, पर यह आम (जनता का) रुख नहीं है. अब भी अधिकतर लोग नेताजी को बखानते हैं और उन्हें लेकर राजनीति नहीं करते.”

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जर्मन नागरिक बेटी व अर्थशास्त्री अनीता बोस फाफ ने कहा कि वह जापान के तोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों की डीएनए जांच के लिए भारत व जापान की सरकारों से जल्द संपर्क करेंगी. फाफ ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो बोस के जीवन से जुड़े रहस्यों को सुलझाना और अस्थियों को भारत लाना स्वतंत्रता सेनानी को असल श्रद्धांजलि होगी.

…तो जापान सरकार से करेंगी संपर्क

नेताजी की बेटी होने के नाते वह चाहती हैं कि इसके (रहस्य के) बारे में उनके जीवित रहते पता चल जाये. वह अस्थियों के डीएनए टेस्ट के लिए जल्द ही भारत सरकार से आधिकारिक रूप से संपर्क करेंगी. अनीता बोस फाफ (Anita Bose Pfaff) के मुताबिक, वह सरकार के जवाब का कुछ देर इंतजार करेंगी. यदि उन्हें जवाब मिलता है, तो अच्छा होगा. जवाब नहीं मिला, तो वह जापान सरकार से संपर्क करेंगी.

Also Read: मलया के मजदूरों में नेताजी ने जगाया था सम्मान का भाव, सिंगापुर के इतिहास का भी हिस्सा हैं सुभाष चंद्र बोस
कांग्रेस सरकार से किया था संपर्क, जवाब नहीं मिला

बकौल नेताजी की बेटी, “यदि सरकार मान जाती है अथवा वह मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने को कहती है और स्वयं इसमें शामिल नहीं होना चाहती, तो मैं इस संबंध में आगे बढ़ सकती हूं.” जर्मन नागरिक फाफ ने कहा कि उन्होंने पूर्व में कांग्रेस के शासनकाल में भारत सरकार से संपर्क किया था, पर उन्हें इसका कभी जवाब नहीं मिला.

इस बार ज्यादा देर नहीं करूंगी

उन्होंने जर्मनी से फोन पर कहा, “इस बार मैं ज्यादा देर नहीं करूंगी. कोविड-19 के हालात से पहले ही मामले में दो वर्ष की देरी हो चुकी है. मैं साथ- साथ जापान सरकार के भी संपर्क में रहूंगी. प्रारंभ में जापान सरकार ने अस्थियां रखने का फैसला किया, क्योंकि उसे लगा कि यह कुछ महीनों की बात है, पर अब 77 साल हो गये हैं.”

नेताजी के जीवन और उससे जुड़े रहस्यों का ले रहे राजनीतिक लाभ

अर्थशास्त्री फाफ ने आगे कहा, “मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती. कुछ लोग नेताजी के जीवन व उससे जुड़े रहस्यों में राजनीतिक लाभ देखते हैं, पर यह आम (जनता का) रुख नहीं है. अब भी अधिकतर लोग नेताजी को बखानते हैं और उन्हें लेकर राजनीति नहीं करते.” उन्होंने यह भी कहा कि भारत की भाजपा नीत केंद्र सरकार नेताजी की विरासत के सम्मान के लिए अधिक काम कर रही है.

नेताजी की अस्थियों को उनकी मातृभूमि में वापस लाना चाहती हूं

बकौल फाफ, “यह मेरे लिए रहस्य नहीं है, क्योंकि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उनका विमान दुर्घटना में निधन हो गया, पर मैं उनकी अस्थियों को उनकी मातृभूमि में वापस लाना चाहती हूं. मैं अपने पिता की यह सेवा करना चाहती हूं.” उन्होंने आगे कहा कि अब उन्नत प्रौद्योगिकी की बदौलत अत्याधुनिक तरीके से डीएनए टेस्ट हो सकता है. जिन लोगों को संदेह है कि क्या नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 को हुआ था या नहीं, तो इसका वैज्ञानिक साक्ष्य पाने का यह सही मौका है कि तोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियां उनकी ही हैं.”

नेताजी की मौत अब तक है रहस्य

मालूम रहे कि नेताजी की मौत को लेकर रहस्य कायम है. माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक विमान हादसे में नेताजी का देहांत हो गया था. मामले पर बने दो जांच आयोगों ने कहा है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में हुई थी, जबकि तीसरे जांच आयोग ने कहा कि उस वायुयान हादसे के बाद भी बोस जीवित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें