पटना. मानसून सीजन में बिहार सूखे का सामना कर रहा है. बिहार में धान की खेती पूरी तरह मानसून आधारित है. मानसून के बादल देशभर में छाए जरूर हैं. लेकिन, कई जगहों पर बारिश नहीं हो रही है. जिसमें बिहार भी शामिल है. मानसून सीजन अभी तक बिहार में सामान्य बारिश की तुलना में तकरीबन 60 फीसदी बारिश ही दर्ज की गई है. मौसम विभाग के अनुसार जून से अब तक राज्य में औसतन 602 मिमी बारिश होनी चाहिये थी. लेकिन, सिर्फ 378 मिमी बारिश ही अभी तक हुई है. जिसके चलते बिहार में सूखे के आसार बन रहे हैं. जिसको लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. बिहार इस समय सबसे खराब स्थिति से गुजर रहा है. बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिति बेहद खराब है.
बारिश की कमी अब तक लगभग 50 प्रतिशत रही है. बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और झारखंड की स्थिति भी ठीक नहीं है. बतादें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम अपने चार महीने के जून-सितंबर की अवधि के तीन तिमाहियों को पूरा करने वाला है. बिहार में सूखा पड़ने का कारण बंगाल की खाड़ी के ऊपर अप्रभावी निम्न दबाव प्रणाली का न होना और पूर्व-पश्चिम मानसून ट्रफ का दक्षिण की ओर शिफ्ट होना बताया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश और झारखंड में 122 साल में सबसे खराब बारिश का मौसम देखा जा रहा है. किसान धान की बुआई करने के बाद अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. प्रशासन संभावित सूखे के परिणाम के लिए आकस्मिक योजनाओं पर काम कर रहा है. ये प्रमुख चावल उत्पादक राज्य भोजन और पानी की गंभीर कमी की चपेट में आ सकते हैं, जिससे वर्ष के लिए बिहार के खरीफ उत्पादन को प्रभावित करने की संभावना है.
मानसून सीजन का तीन महीना बीतने वाला है. मानसून सीजन में जून से लेकर अब तक बिहार के पूरे राज्य में औसतन 60 फीसदी ही बारिश दर्ज की गई है. वहीं, प्रदेश का कई जिला ऐसा भी है जहां पर 40 फिसदी ही बारिश अब तक हुई है. इन जिलों में लखीसराय और भागलपुर भी शामिल हैं. प्रदेश में कम बारिश के कारण कई जिलों में धान की रोपनी भी प्रभावित हुई है. कुछ इलाकों में किसान भूमिगत जल के सहारे धान की रोपनी किये है. लेकिन, अब भूमिगत जल के नीचे जाने की स्थिति बन गयी है.