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Atal Bihari Vajpayee : पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजयेपी को सुनने के लिए जब पेड़ पर चढ़ गए थे लोग

Atal Bihari Vajpayee death anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयपेयी की ऐतिहासिक सभा 1987 में बोकारो के करगली मैदान में हुई थी. अटल जी की सभा में मैदान तो खचाखच भरा ही था, सामने का मेन रोड भी लोगों से पटा पड़ा था. आसपास के पेड़ों पर भी लोग सुनने के लिए बैठ गये थे.

Atal Bihari Vajpayee death anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयपेयी की ऐतिहासिक सभा 1987 में बोकारो के करगली मैदान में हुई थी. वे बेरमो के दौरे पर आये थे. मई महीने में करगली फुटबॉल मैदान में इनकी सभा आयोजित की गयी थी. तपती दुपहरी में भी जनसैलाब उमड़ा था. लोग इस सभा की तुलना 1974 में इसी मैदान में हुई जेपी की सभा से कर रहे थे. अटल जी की सभा में मैदान तो खचाखच भरा ही था, सामने का मेन रोड भी लोगों से पटा पड़ा था. आसपास के पेड़ों पर भी लोग सुनने के लिए चढ़ गये थे.

जब प्रचार का नहीं था सशक्त माध्यम

यह दृश्य तब था, जब प्रचार-प्रसार के माध्यम इतने सशक्त नहीं थे. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य विनय कुमार सिंह कहते हैं कि प्रचार के नाम पर मात्र एक जीप पर लाउडस्पीकर बांधकर क्षेत्र में घुमाया गया था. अटली जी के दौरे के एक दिन पहले और कार्यक्रम के दिन सुबह. सभा में मंच पर तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष सह पूर्व सांसद रामदास सिंह, विधायक छत्रुराम महतो, तत्कालीन युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष डॉ वर्णवाल, मजदूर नेता मधुसूदन प्रसाद सिंह, केडी सिंह, तत्कालीन बेरमो प्रखंड अध्यक्ष स्व रामचंद प्रसाद वर्मा (मुंशी जी), स्व मुक्तिनाथ तिवारी आदि मौजूद थे. विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के नाते विनय सिंह मंच व्यवस्था में भाजपा नेताओं को सहयोग कर रहे थे. लगभग 11 बजे अटल जी बेरमो पहुंचे. उनके साथ तत्कालीन बिहार प्रदेश अध्यक्ष स्व कैलाशपति मिश्रा, टुंडी विधायक सत्यानारायण दुधानी, बोकारो विधायक समरेश सिंह और कोडरमा के पूर्व सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा चल रहे थे. कुछ समय सीसीएल के करगली गेट हाउस में बिताने के बाद अटल जी मंच पर पधारे थे. अटल जी को मंच पर आते ही भीड़ काफी उत्साहित हो गई. अंधेरे में एक चिंगारी, अटल बिहारी-अटल बिहारी का नारा गूंजने लगा था. जिलाध्यक्ष स्व रामदास सिंह मंच का संचालन कर रहे थे.

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राशि कम है तो आज भाषण में भी कटौती होगी

मंच पर सर्वप्रथम बाजपेयी जी को उनके षष्ठीपूर्ति वर्ष (60 वर्ष) के अवसर पर जनता से संग्रहित राशि एक थैली के रूप में रामदास सिंह ने भेंट की. एक लाख का लक्ष्य रखा गया था जिसमें कुछ कमी रह गई थी. स्व रामदास सिंह ने कांपते स्वर में कहा था कि अपने नेता से खेद जताता हूं कि राशि संग्रह में कुछ कमी रह गई. हाजिर जवाब अटल जी ने इस पर तुरंत जवाब दिया था कि ठीक है, लेकिन राशि कम है तो फिर आज भाषण में भी कटौती होगी. इस पर मंच सहित जनसभा लोगों के ठहाकों से गूंज उठ थी.

अटल जी ने अपने भाषण से लोगों को खूब गुदगुदाया

कैलाश जी के संक्षिप्त उदबोधन के बाद अटली जी जब बोलने को खड़े हुए तो सभा स्थल तालियों से गूंज उठा. उन्होंने चिर-परिचित अंदाज में अपना भाषण शुरू किया. राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय व राज्य की परिस्थितियों को लोगों के सामने अपने मशहूर चुटीले अंदाज में रखते हुए खूब गुदगुदाया. कहने लगे दिल्ली से अभी 425 डब्बों वाली जो नई राजीव एक्सप्रेस चली है, उसका इंजन तो शानदार है. ट्रेन की गति भी कमाल की है, लेकिन चिर-परिचित अंदाज में अटल जी ने अपनी आंखें बंद कीं, पलकें मिटमिटाईं और फिर चुटकी ली. कहा गाड़ी की चाल तो तेज है लेकिन खतरा है. खतरा यह है कि उसमें ब्रेक (विपक्ष) नहीं है. मालूम हो कि वर्ष 1984 के इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में विपक्ष के सभी बड़े नेताओं के साथ-साथ अटली जी भी ग्वालियर से चुनाव हार गये थे.

अटली जी ने ली थी चुटकी

बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बदले थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री सह बेरमो के दिग्गज इंटक नेता स्व बिंदेश्वरी दुबे को हटाकर सत्येंद्र नारायण सिंह बिहार के सीएम बने थे. इसपर अपने अंदाज में अटल जी ने चुटकी लेते हुए कहा था कि दुबे जी दुबे है, लेकिन बड़े तैराक हैं. डूबे पटना के किनारे गंगा में और निकले दिल्ली के किनारे यमुना में. सभा ठहाकों से गूंज उठा. बताते चलें कि दुबे जी को पटना से दिल्ली ले जाकर केंद्र में मंत्री बनाया गया था. इस अंश को यादकर आज भी बेरमो के लोग रोमांचित हो उठते हैं. भाजपा नेता मधुसूदन प्रसाद सिंह व विनय कुमार सिंह कहते हैं कि आज नेताओं के प्रति घटते स्नेह के दौर में अटल जी जैसे राजनेता की बरबस याद आती है.

रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो, बोकारो

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