पटना. अंगदान के प्रति लोगों में धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है, लेकिन अब भी जरूरत के अनुसार किडनी व लिवर प्रत्यारोपण के लिए नहीं मिल पा रहे हैं. यह कहना है आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट व सोटो के चेयरमैन डॉ मनीष मंडल का. विश्व अंगदान दिवस के मौके पर शनिवार को शहर के आइजीआइएमएस में नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इसमें डॉ मनीष मंडल ने कहा कि भारत में हर साल ढाई लाख से अधिक किडनी और 80 हजार से अधिक लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. लेकिन अंगों की कमी के कारण भारत में प्रति वर्ष लगभग 10 हजार किडनी और 800 लिवर ही प्रत्यारोपण ही किये जाते है.
नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ अमरकेश कृष्णा ने बताया कि देहदान को लेकर प्रदेश में अभी जागरूकता की कमी देखी जा रही है. यही वजह है कि अब तक सिर्फ दो शवों के ही देहदान किये गये हैं. इसमें एक किडनी और एक लिवर ट्रांसप्लांट 2020 के मार्च महीने में किया गया था.
संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट भी शुरू किया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से लिवर प्रत्यारोपण के बाद अगले दिन मरीज ने दम तोड़ दिया. लेकिन किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीजों को काफी राहत मिल रही है. यहां लगातार ट्रांसप्लांट किये जा रहे हैं. कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ प्रीत पाल सिंह ने कहा कि शवों के गुर्दा दान से जुड़े मिथकों को दूर किया जा सके.
इधर, विश्व अंगदान दिवस के मौके पर शनिवार को शहर के विद्यापति भवन सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. दधीचि देहदान समिति के मुख्य सरंक्षक व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने द्वीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
सुशील मोदी ने कहा कि जानवर के अंग मृत्यु के बाद भी काम आते है परंतु मानव का अंग किसी काम नहीं आता. लोग मानवता के लिए अपना शरीर दान करें ताकि जरूरतमंद को समय पर आर्गन मिल जाये. जागरूकता अभियान के लिए उन्होंने 2 लाख का चेक समिति को दिया.