मशहूर लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie ) पर न्यूयार्क में शुक्रवार को जानलेवा हमला किया गया. मुंबई में पैदा हुए और बुकर पुरस्कार से सम्मानित रुश्दी (75) पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी हदी मतार नामक व्यक्ति ने चाकू से उन पर हमला कर दिया. उनकी गर्दन पर चोट आयी है और इस समय जीवन और मौत से अस्पताल में लड़ रहे हैं. इधर रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले के बाद ईरान की जमकर चर्चा हो रही है.
रुश्दी पर हमले के बाद आखिर क्यों हो रही है ईरान की चर्चा
सलमान रुश्दी की एक किताब जो 1988 में आयी थी, उसी को लेकर ईरान में सलमान पर गंभीर आरोप लगाकर उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया था. आरोप था कि अपनी पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज इस्लाम धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाया है. ईरान के तत्कालीन (अब दिवंगत) सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खमनेई ने उन्हें (रुश्दी को) मौत की सजा का फतवा जारी किया था.
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क्या है रुश्दी पर हमले के बाद ईरान के लोगों की प्रतिक्रिया
तेहरान में कुछ लोगों ने लेखक पर हमले की सराहना की, क्योंकि उनका मानना है कि रुश्दी ने 1988 में आई अपनी पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज इस्लाम धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाया है. ईरान की राजधानी तेहरान की गलियों में लोगों के जेहन में अब भी खमैनी का फतवा है. रेजा अमिरी नामक एक व्यक्ति ने कहा, मैं सलमान रुश्दी को नहीं जानता, लेकिन मुझे यह सुनकर खुशी हुई है कि उनपर हमला किया गया क्योंकि उन्होंने इस्लाम का अपमान किया है. तेहरान में रह रहे 34 वर्षीय मोहम्मद महदी मोवाघर ने कहा कि यह सुखद है और यह दिखाता है कि जो लोग हम मुस्लिमों की पवित्र चीजों का अपमान करते हैं उन्हें परलोक में सजा के अलावा इस दुनिया में भी लोगों द्वारा सजा मिलेगी. हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें चिंता है कि ईरान दुनिया से और कट जाएगा. वैसे भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव चल रहा है.
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