दरभंगा. डीएमसीएच परिसर में एम्स निर्माण को लेकर चल रही कवायद लगभग ठहर गयी है. करीब दो माह से बारिश के कारण मिट्टीकरण का कार्य बंद है. बताया जा रहा है कि अब साल के अंत तक मिट्टी भराई का काम शुरू हो सकेगा. वहीं, परिसर स्थित बेंता ओपी, स्टेट बैंक, डीएमसी के विभाग आदि को अन्यत्र शिफ्ट करने को लेकर लिये गये निर्णय पर अमल शुरू नहीं हुआ.
एम्स के लिए अभी तक जमीन का सीमांकन नहीं किया गया है. दरभंगा एम्स के नवनियुक्त निदेशक माधवानंद कार योगदान देने अबतक नहीं पहुंचे हैं. उनकी नियुक्ति की अधिसूचना 23 जून को जारी की गयी थी. इस तरह से देखा जाये तो एम्स निर्माण को लेकर फिलहाल एक भी काम नहीं चल रहा है.वहीं, बीएमएसआइसीएल अभियंता निखिल गायकवाड़ ने बताया कि मिट्टीकरण का काम बारिश के कारण बंद है. शिफ्टिंग को लेकर प्रक्रिया तेज की जायेगी.
डीएमसीएच परिसर में से 200 एकड़ भूमि एम्स को दिया गया है. हालांकि, मुख्यमंत्री की ओर से एम्स के हिस्से की 50 एकड़ जमीन डीएमसीएच को हस्तगत कराने की बात कही गयी थी. वैसे कागज पर एम्स के हिस्से में अबतक 200 एकड़ जमीन दिख रही है. इसमें से 75 एकड़ जमीन पर मिट्टीकरण का काम किया जाना है. यह भू-भाग मेडिकल खेल मैदान व भटवा पोखर से लेकर रेलवे लाइन के उस पार तक फैला हुआ है. भटवा पोखर के निकट 25 एकड़ में से मात्र दो-तीन एकड़ में मिट्टी भराई का काम हो सका है. खेल मैदान में मिट्टीकरण का काम हुआ है, पर इसके आसपास के 50 एकड़ भूमि में कई भवन होने से काम प्रभावित हुआ हैं.
डीएमसीएच के मेडिकल खेल मैदान के निकट डीएमसी के तीन विभागों की पढ़ाई होती है. इन विभागों को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय हो चुका है. बावजूद अब तक कदम नहीं उठाये जाने से संबंधित छात्रों को परेशानी हो रही है. इन विभागों में बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटोमी शामिल हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने 2015- 16 की बजट में बिहार के लिए एम्स की घोषणा की थी. सात साल बीतने के बावजूद अभी तक इसका शिलान्यास नहीं किया जा सका है. दरभंगा एम्स में 100 एमबीबीएस, 60 बीएससी नर्सिंग व एमडी, एमसीएच जैसी सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट होंगे. इस पर 1264 करोड़ की लागत आयेगी. पूरा अस्पताल 750 बेड का बनेगा.