भारत ने यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के इस्तेमाल हो चुके ईंधन भंडारण केंद्र के पास गोलाबारी की खबरों को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने परमाणु केंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी संयम बरतने का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, ”हम यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों और केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा के संबंध में घटनाक्रम का सावधानीपूर्वक अवलोकन कर रहे हैं. भारत इन केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने को अत्यंत महत्व देता है, क्योंकि परमाणु केंद्रों से जुड़ी किसी भी दुर्घटना का लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हो सकता है.”
यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अपने संबोधन में रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के इस्तेमाल हो चुके ईंधन भंडारण केंद्र के पास गोलाबारी की खबरों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करता है. जापोरिज्जिया संयंत्र की स्थिति पर सुरक्षा परिषद में खुली बैठक में उन्होंने कहा, हम आपसी संयम बरतने का आह्वान करते हैं ताकि परमाणु केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा को खतरा न हो.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में कहा कि पांच अगस्त को यूरोप के सबसे बड़े जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर गोलाबारी की गई, जिससे बिजली के स्विचबोर्ड के पास कई विस्फोट हुए और बिजली बंद हो गई. यूक्रेन ने आईएईए को सूचित किया है कि देश के 15 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में से 10-जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र में दो, रिव्ने एनपीपी में तीन, दक्षिण यूक्रेन एनपीपी में तीन और खमेलनित्स्की एनपीपी में दो-वर्तमान में ग्रिड से जुड़े हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिज्जिया संयंत्र और उसके आसपास की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है और सभी संबंधित लोगों से ”विवेक” का इस्तेमाल करने और ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं करने की अपील की है. जो परमाणु ऊर्जा संयंत्र की संरक्षा या सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है.
रुचिरा कंबोज ने कहा, ”हमने दोनों पक्षों से कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है. हम संघर्ष को समाप्त करने के सभी राजनयिक प्रयासों का समर्थन करते हैं.” कंबोज ने कहा, ”हमें विकासशील देशों पर विशेष रूप से खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की आपूर्ति पर यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव के बारे में भी पूरी तरह से संज्ञान लेने की आवश्यकता है. यह सभी के लिए महत्वपूर्ण है. जब खाद्यान्न की बात आती है तो हम निष्पक्षता, सामर्थ्य और पहुंच के महत्व की सराहना करते हैं.”
इस संबंध में, भारत ने काला सागर के माध्यम से यूक्रेन से अनाज का निर्यात बहाल करने और रूसी खाद्य और उर्वरकों के निर्यात की सुविधा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव समर्थित पहल का स्वागत किया. कंबोज ने कहा, ”इन प्रयासों से पता चलता है कि मतभेदों को निरंतर बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, जो भारत लगातार कहता रहा है.” भारत ने दोहराया कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर टिकी होनी चाहिए. (भाषा)