पटना. भाई-बहन के प्रेम के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है. पूर्णिमा की तिथि और भद्रा की मौजूदगी इसका मुख्य कारण है. गुरुवार (11 अगस्त) को सुबह 09:44 बजे से पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा भी शुरू हो रहा है, जो रात 08:34 बजे समाप्त होगा व शुक्रवार (12 अगस्त) को पूर्णिमा सुबह 07:27 बजे तक है. उदयातिथि और प्रातःकाल पूर्णिमा में 12 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाना शुभकारी रहेगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ श्रीपतित्रिपाठी के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 09 बज कर 13 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त को 7 बज कर 5 मिनट पर समाप्त हो रही है. इस लिहाज से 12 अगस्त को उदयातिथि होने के बाद रक्षाबंधन मनाया जायेगा. आचार्य राकेश झा ने बताया कि सावन शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन पर ग्रहगोचरों का अद्भुत संयोग बना है.
उदयातिथि और प्रातःकालीन पूर्णिमा तिथि में स्नान-दान की पूर्णिमा शुक्रवार को घनिष्ठा नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग एवं सिद्ध योग भी विद्यमान रहेगा. इस प्रकार सावन की पूर्णिमा पर अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है. इस उत्तम संयोग में राखी बांधने से ऐश्वर्य व सौभाग्य की वृद्धि होती है. शास्त्रों में भद्रारहित काल में ही राखी बांधने का प्रचलन है.
पंडित विनय कुमार ने बताया कि भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. अन्य कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य भद्रा में करना वर्जित है. इससे अशुभ फल की प्राप्ति होती है. एक अन्य मान्यता के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था, जिसके कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था. इसलिए भद्राकाल में शुभ कार्य वर्जित हैं.
पंडित राकेश कुमार झा के अनुसार इस वर्ष रक्षाबधंन शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि में सुबह 7:27 मिनट तक है. इसी दिन रक्षाबधंन का पुनीत पर्व मनाये. उदय काल में पूर्णिमा तिथि प्राप्त होने से स्नान-दान पूर्णिमा श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन मनाया जायेगा.