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Nakshatra: जानें किस नक्षत्र के कौन सा है स्वामी, इंसान के जीवन पर ऐसे डालते हैं असर

Nakshatra: जैसा कि हम सभी जानते हैं जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, वही उस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र होता है. यदि किसी व्यक्ति के वास्तविक जन्म नक्षत्र की जानकारी हो तो उस व्यक्ति के बारे में बिलकुल सही भविष्यवाणी की जा सकती है.

Nakshatra तारो के समूह को नक्षत्र कहते है.सम्पूर्ण आकाश मंडल को 27 भागो में विभाजित किया गया है.नक्षत्र अपनी जगह पर स्थिर है.आकाश मंडल की दूरी नक्षरो से ही नापी जाती है.आकाश मंडल में आप ने रात्रि में देखा होगा कभी तारो के समूह से कुछ आकृतियाँ प्रतीत होती है जैसे हाथ ,हाथी ,कभी ,अश्व ,कभी कुछ ये सब तारो के समूह यानी नक्षत्र है.इन तारो के अतिरिक्त अभिजीत 28वा नक्षत्र है जो हर कार्य के लिए शुभ होता है बुधवार को छोड़कर एक दिन का लगभग 1 नक्षत्र होता है. चन्द्र 27 नक्षत्रों से चलता है.

1 नक्षत्र को पार करने में चन्द्र की लगभग 1 दिन लगता है. इसे चन्द्र नक्षत्र बोलते है. सूर्य भी इन नक्षत्रों से निकलता है सूर्य को एक नक्षत्र पार करने में लगभग 13से14 दिन लगते है.सूर्य जिस नक्षत्र पर होता है उसे सूर्य नक्षत्र कहते है.हर नक्षत्र के 4 भाग होते है इन भागो को चरण कहते है.प्रत्येक नक्षत्र का एक स्वामी व एक ग्रह स्वामी होता है.नीचे सारणी में पहले नक्षत्र के स्वामी बता रहा हु व 27 नक्षत्रों के नाम.

नक्षत्र और उसके स्वामी

  • अश्वनी- अश्वनी कुमार

  • भरणी- काल

  • कृतिका- अग्नि

  • रोहणी-ब्रह्मा

  • मृगशिरा- चन्द्र

  • आर्द्रा- रुद्र

  • पुर्नवसु- अदिति

  • पुष्य- गुरु

  • अश्लेषा- पित्र

  • मघा- पित्र

  • पूर्वाफाल्गुनी- भग

  • उत्तराफाल्गुनी- अर्यमा

  • हस्त- सूर्य

  • चित्रा- विश्वकर्मा

  • स्वाति- पवन

  • विशाखा- शुक्रग्नि

  • अनुराधा- मित्र

  • ज्येष्ठा- इंद्र

  • मूल- निऋति

  • पूर्वसाढ- जल

  • उत्तरसाढ़- विश्वदेव

  • श्रवण- विष्णु

  • धनिष्ठा- वसु

  • स्तबिसा- वरुण

  • पूर्वाभाद्रपद- अजेक

  • उत्तरा भाद्रपद- अहिबर्धनयु

  • रेवती- पूषा

  • अभिजीत- ब्रह्मा

नक्षत्र और राशि के बीच क्या अंतर है?

यदि आप आकाश को 12 समान भागों में विभाजित करते हैं, तो प्रत्येक भाग को राशि कहा जाता है, लेकिन अगर आप आकाश को 27 समान भागों में विभाजित करते हैं तो प्रत्येक भाग को नक्षत्र कहा जाता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आकाश किसी भी वृत्तीय आकार की तरह 360 डिग्री का होता है. अब यदि हम 360 डिग्री को 12 भागों में बांटते हैं, तो हमें एक राशि चिन्ह 30 डिग्री के रूप में प्राप्त होता है. इसी प्रकार, नक्षत्रों के लिए, यदि हम 360 डिग्री को 27 भागों बांटते हैं, तो एक नक्षत्र 13.33 डिग्री (लगभग) के रूप में आती है. इसलिए, नक्षत्रों की कुल संख्या 27 और राशियों की कुल संख्या 12 होती है. अगर देखा जाये तो नक्षत्र एक छोटा सा हिस्सा है और राशि एक बड़ा हिस्सा होता है. किसी भी राशि चिन्ह में 2.25 (लगभग) नक्षत्र आते हैं.

कैसे ज्ञात करते हैं नक्षत्र ?

जैसा कि हम सभी जानते हैं जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, वही उस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र होता है. यदि किसी व्यक्ति के वास्तविक जन्म नक्षत्र की जानकारी हो तो उस व्यक्ति के बारे में बिलकुल सही भविष्यवाणी की जा सकती है. आपके नक्षत्रों की सही गणना आपको काफी लाभ पहुँचा सकती हैं. साथ ही आप अपने अनेक प्रकार के दोषों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के उपाय भी ढूंढ सकते हैं. सभी नक्षत्रों के अपने शासक ग्रह और देवता होते हैं. विवाह के समय भी वर और वधू का कुंडली मिलान करते समय नक्षत्र का सबसे अधिक महत्व होता है.

एस्ट्रोसेज पर नक्षत्र कैलकुलेटर की सुविधा प्रदान की जा रही है जो आपको अपने जन्म से जुड़ी जानकारियों को ढूंढने में मदद करता है. इस कैलकुलेटर की मदद से जन्म के समय चन्द्रमा की स्थिति को ध्यान में रख कर सारी जानकारी दी जाती है. इसलिए नक्षत्र कैलकुलेटर का उपयोग करके आप अपने नक्षत्र का नाम और अन्य ज्योतिषीय विवरण पा सकते हैं. इसकी मदद से आप अपना राशी, जन्म नक्षत्र आदि का भी पता लगा सकते हैं.

संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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