पटना. विपक्ष के डेढ़ दर्जन विधायकों की सदस्यता खतरे में है. विधानसभा सचिवालय की ओर से इन्हें नोटिस मिलने वाला है. विधानसभा की आचार समिति की सोमवार को हुई बैठक में सभी संबंधित विधायकों पर कार्रवाई को लेकर चर्चा हुई. पिछले साल 23 मार्च को बिहार सशस्त्र पुलिस बल विधेयक पारित कराये जाने के दिन विधानसभा अध्यक्ष का कक्ष घेरने तथा हंगामे में विपक्ष के डेढ़ दर्जन विधायकों को इसमें शामिल माना गया था. बाद में सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से पूरे घटनाक्रम की जांच की गयी.
पूर्व मंत्री रामनारायण मंडल की अध्यक्षता में आचार कमेटी गठित हुई थी. श्री मंडल ने कमेटी के फैसले को सार्वजनिक करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बैठक में सामान्य चर्चा हुई. लेकिन सूत्र बताते हैं कि कमेटी संबंधित विधायकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के मूड में है. माना जा रहा है कि पहले नोटिस और फिर कार्रवाई की जा सकती है.
यदि कमेटी ने ऐसी सिफारिश की और उस पर अमल हुआ तो विपक्षी सदस्यों की संख्या में 18 की कमी आ सकती है. हालांकि विधायी मामलों के जानकार बताते हैं कि विधानसभा सचिवालय को पहले संबंधित विधायकों को नोटिस जारी करना होगा. जवाब के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है.
इसके पहले कमेटी की रिपोर्ट सदन में पेश करनी होगी. जिन विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक गयी है, उनमें राजद और भाकपा माले के भी कुछ सदस्य हैं. विधानसभा अध्यक्ष की ओर से संभावित इस कार्रवाई को वर्तमान राजनीतिक उठापटक से जोड़ कर देखा जा रहा है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन सदस्यों की बरखास्तगी कर के भाजपा सदन में अपनी बादशाहत साबित कर सकती है. वैसे विपक्ष का दावा है कि अगर नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ते हैं तो उन्हें सदन में 165 सदस्यों का समर्थन हासिल है. ऐसे में 18 सदस्यों की मान्यता रद्द करने से सदन में सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.