रांची : निर्मल महतो बचपन से ही न्यायप्रिय स्वभाव के थे. वह जब युवा थे, तो उलियान व ईंचागढ़ के दर्जनों गांव के लोग उन्हें पंचायती करने के लिए सम्मानपूर्वक बुलाकर पंच बनाते थे. उनकी बातों का न सिर्फ मान रखा जाता था, बल्कि उनके हर निर्णय का पालन होता था. निर्मल बचपन से ही जिद्दी स्वभाव के थे. वह जाे ठान लेते थे उसे पूरा कर ही दम लेते थे. निर्मल शाकाहारी थे. वह झाल तक (तीखा) नहीं खा पाते थे.
झाल खाने से उन्हें बेहोशी आने लगती थी. उन्हें सादा भोजन दिया जाता था. निर्मल किशोरावस्था से सुबह घर से निकलते थे और रात में लौटते थे. सभी भाई-बहनों के अलावा माता-पिता भी उनके आने का इंतजार करते थे. उनके लौटने तक कोई सोता नहीं था. मां के साथ मैं भी हर दिन उन्हें खाना खिलाने के बाद ही सोती थी. निर्मल का छोटे भाइयों व बहन से काफी स्नेह था. परिवार की तरह ही उलियान के लोगों से वह प्यार करते थे.
निर्मल को बुलेट मोटरसाइकिल चलाने का काफी शौक था. किशोरावस्था से बुलेट की सवारी करते थे. ड्रेस के भी शौकीन थे. उन्हें शर्ट, बेलबटम के अलावा सफेद व काला कुर्ता-पायजामा पहनना काफी पसंद था. उलियान दुर्गापूजा में निर्मल महतो किशोरावस्था से ही महाअष्टमी को दांडी देकर नदी से पूजा पंडाल तक लेट-लेट कर आते थे. उपवास रखकर दांडी देकर भगवान से परिवार के अलावा उलियान की सुख-शांति व समृद्धि की कामना करते थे.
आठ अगस्त को शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस पर उन्हें लौहनगरी ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड, बंगाल व ओड़िशा में लोग श्रद्धांजलि देंगे. जमशेदपुर शहर में मुख्य आयोजन बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस स्थित शहीद स्थल और कदमा उलियान स्थित समाधि स्थल पर होंगे. इसमें झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन व सीएम हेमंत सोरेन भी शामिल होंगे.
Posted By: Sameer Oraon