ओटीटी प्लेटफार्म पर फ़िल्म डार्लिंग्स ने दस्तक दे दी है. यह फ़िल्म कलाकारों के दमदार अभिनय की वजह से ज़्यादा सराही जा रही है. आलिया भट्ट और शेफाली शाह की मौजूदगी के बावजूद अभिनेता विजय वर्मा फ़िल्म में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुए हैं. वह इस फ़िल्म की कास्टिंग को बहुत दिलचस्प बताते हैं. विजय वर्मा की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
डार्लिंग्स को मिला सबसे अच्छा कॉम्पलिमेंट क्या रहा है?
जैसा की सभी को पता है कि आलिया के साथ-साथ शाहरुख खान भी इस फ़िल्म के निर्माता हैं. उन्होंने काफी पहले फ़िल्म देख ली थी. फ़िल्म देखने के बाद मुझे उनका एक प्यारा सा फोन आया. यार.. विजय कैसे हो… वह मेरे परफॉर्मेंस से इम्प्रेस और खुश थे. इस फिल्म को करने के लिए मुझे धन्यवाद दिया. उन्होंने मुझे यह भी कहा कि फ़िल्म देखते हुए उन्हें जाने भी दो यारों के सतीश शाह की याद आ गयी. इस तरह के अविश्वसनीय सुपर स्टार के मुंह से ये शब्द सुनना बहुत सम्मान की बात है.
इस फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक और कलाकार सभी महिला बहुल है आप सेट पर कितने लोकप्रिय थे?
(हंसते हुए) मैं पहले दिन सेट पर गया और लीजेंड अनिल मेहता ने एक फ्रेम बनाकर मुझसे कहा कि मुझे पहले टेक में शौचालय साफ करना है. मुझे कुछ हद ही तक लाड़-प्यार किया गया. शूटिंग के दौरान सेट पर मेरी पिटाई होती थी. सीरियस नोट पर कहूं तो सेट पर सभी महिलाएं थीं. अब समय आ गया है कि हमारे पास महिला लेखिकाएं और कहानीकार, महिला क्रू सदस्य हों. मुझे लगता है कि जोया ने इसे शुरू किया था. गलीबॉय में सभी एचओडी महिलाएं थीं. व्यक्तिगत रूप से, मुझे महिला निर्देशकों के साथ काम करना पसंद है. मैंने जोया अख्तर, मीरा नायर, रीमा कागती, रीमा सेन गुप्ता, नंदिता दास और जसमीत के साथ काम किया.
आलिया भट्ट औऱ शेफाली के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
शेफाली को मैंने “मानसून वेडिंग” में देखा था, उसकी प्रभावशाली आंखों को देखकर हम सभी को यकीन था कि उनसे बेहतर कोई और परफॉर्म नहीं कर सकता था. मुझे पता था कि वह एक बेहतरीन अदाकारा हैं और आलिया गंगूबाई काठियावाड़ी में अच्छी थीं. मुझे पता है कि वे महान अभिनेता हैं और आप अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अच्छा खेल पाएंगे. जब स्क्रिप्ट अच्छी तरह से लिखी जाती है तो क्रू मेंबर्स अपना बेस्ट देने के लिए भूखे हो जाते हैं. हमारे पास रचनात्मक ऊर्जा बह रही है और हम और देना चाहते हैं इसलिए हम कुछ बेहतर जोड़ने की योजना बना रहे हैं. उनके साथ काम करना बहुत अच्छा और आसान है क्योंकि आप जो कुछ भी करेंगे आपको उनसे बेहतरीन प्रतिक्रिया मिलेगी. आप जानते हैं कि वे एक मूल और सच्ची प्रतिक्रिया में प्रतिक्रिया देंगे. इसमें अच्छे को-एक्टर्स-आलिया और शेफाली के साथ ऐसा होता है.
आलिया का पति बनना हर किसी का सपना होता है और आप इस फ़िल्म में बने हैं?
(हंसते हुए)ऑन स्क्रीन ही ड्रीम कर सकते हैं. वैसे खुशी इस बात की है कि मैं पर्दे पर उनका आखिरी पति था उसके बाद उन्होंने शादी कर ली.
आपके माता-पिता आपकी कामयाबी से कितने खुश हैं?
वे ज्यादा भाव नहीं देते हैं. मेरी मां आम घरेलू महिला की तरह ही हैं. वह अपने घर के कामों में व्यस्त रहती है. हां, उन्हें इस बात की राहत मिली है कि मैं अब भूखा नहीं मरूंगा. मैं अपनी रोजी- रोटी अच्छी तरह से कमा सकता हूं अब भी जब मैं वीडियो कॉल करता हूं,तो मेरी मां को केवल यही लगता है कि मेरा वजन कम हो गया है. वह मुझसे पूछती रहती है कि क्या मैं अपना खाना ठीक से नहीं खा रहा हूं.
अभिनय के अलावा किन चीजों में रुचि है?
मुझे वीडियो गेम में रुचि है. जूतों के कलेक्शन का भी मुझे बहुत शौक है. मेरे पास लगभग 100 जोड़ी जूते हैं. मैं जमा करता रहता हूं. जितने पैसे के मैंने जूते खरीदें हैं,उतने में तो मैं एक अच्छी कार खरीद लेता था. वैसे मेरी मां को मेरे इस शौक से बेहद ऐतराज है. वह नाराज भी होती है,लेकिन मैं नहीं मानता हूं. मैं नहाकर आता हूं तो सबसे पहले अपने जूते उठाता हूं और फिर उन जूतों के अनुसार अपने कपड़ों को चुनता हूं.
क्या आपको हमेशा खुद को स्टाइलिश रखना पसंद रहा है?
हां, मुझे स्टाइल से रहने का हमेशा से शौक रहा है. यही वजह है कि मैं उनलोगों में से रहा हूं,जो स्टाइलिश दिखने के लिए गर्मियों में भी स्वेटर पहन लेते हैं. एफटीआईआई में भी मैं अच्छी तरह से तैयार होता था, जबकि दूसरे स्टूडेंट्स सिर्फ पजामा और चप्पल में जाते थी. मैं पूरा तैयार होकर जाता था. मैंने सुना है कि मिथुन दा [चक्रवर्ती] भी काफी तैयार होकर ही आते थे. मुझे ऐसी चीज़ें पहनना अच्छा लगता है जो मुझे पसंद हों.
फ़िल्म गली बॉय के बाद लगातार काम मिल रहा है लेकिन क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आउट साइडर होने के नाते इस इंडस्ट्री में बनें रहना कठिन है?
हां, मैं मानता हूं कि इस इंडस्ट्री में रहना कठिन है. मुझे लगता है कि यह सभी के लिए कठिन है,लेकिन कोई है जो अधिक संसाधनों के साथ आया है और आउटसाइडर्स नहीं. अभिनय एक ऐसा काम है जिसे हम सिर्फ कैमरों के सामने करते हैं लेकिन इंडस्ट्री सिर्फ उसी के सहारे नहीं चलती है. एक अलग तरह का मैकेनिज्म यहां काम करता है. जिसे एक आउटसाइडर कभी भेद नहीं सकता है. मुझे काम इंडस्ट्री नहीं दे रही है ,बल्कि मैंने ईमानदारी से काम किया, यह लोगों तक पहुंचा और इसलिए वे मुझे और अधिक बार देखना चाहते हैं. चूंकि लोग मुझे देखना चाहते हैं इसलिए फिल्म निर्माता मुझे कास्ट कर रहे हैं तो मैं सभी आउटसाइडर्स से यही कहूंगा कि अपनी क्रिएटिविटी पर फोकस करें. देर-सवेर परिणाम अच्छे मिलेंगे ही.
इनदिनों साउथ की फिल्मों का जबरदस्त क्रेज है क्या आप करना चाहेंगे?
मैंने अतीत में साउथ की फिल्मों में काम किया है,लेकिन अभी चूंकि साउथ की फिल्मों का क्रेज है इसलिए मैं नहीं करने वाला हूं. वैसे भी मेरे डेट्स फिलहाल पूरी तरह से पैक्ड हैं. मैं जल्द ही करीना कपूर खान के साथ सुजॉय घोष वाली फिल्म में दिखूंगा.