पटना. सीबीआइ रेलवे माल ढुलाई रैक में हेराफेरी करने के मामले में रेलवे के कुछ और अधिकारियों को अपने गिरफ्त में लेने की कोशिश कर रही है. इस मामले में दर्ज एफआइआर का आकलन किया जा रहा है. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक इस खेल में रेलवे के बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जिसमें और भी अधिकारी शामिल हैं. फिलहाल सीबीआइ की विशेष अदालत ने सोमवार को गिरफ्तार किये गये रेलवे के तीन अधिकारियों संजय कुमार, रूपेश कुमार और सचिन मिश्रा को 12 अगस्त तक के लिए जेल भेज दिया है.
सीबीआइ ने मंगलवार को कोर्ट में तीनों अधिकारियों को रिमांड पर लेने का आवेदन दिया है. इस पर बुधवार को फैसला होगा. इसी मामले में कोलकाता से गिरफ्तार नवल लाधा को सीबीआइ ने कोर्ट में पेश किया, जहां उसे जेल भेज दिया गया. इस मामले में सीबीआइ ने तलाशी के दौरान नवल लाघा व मनोज कुमार साहा के घर से 46-50 लाख रुपये नकद बरामद किया था.
इधर, रेलवे अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद इसीआर मुख्यालय हाजीपुर, डीआरएम कार्यालय सोनपुर और समस्तीपुर में दिन भर हड़कंप मचा रहा. समस्तीपुर रेल मंडल के वरिष्ठ परिचालन प्रबंधक रूपेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद डीसीएम रोशन कुमार को सीनियर डीओएम का प्रभार दिया गया है. कोलकाता की आभा एग्रो कंपनी का मुख्य काम मक्का लोडिंग से जुड़ा हुआ था.
सहरसा सिमरी बख्तियारपुर, मानसी आदि जगहों से बड़ी मात्रा में मक्का कारोबार का काम इस कंपनी के माध्यम से भेजा जाता था. माल उतारने में देरी को कम दिखाते हुए मोटी रकम वसूली जाती थी. इसमें अब छोटे कर्मचारियों पर भी गाज गिरनी तय है. सूत्रों के मुताबिक आभा एग्रो इंटरप्राइजेज का ऐसा दबदबा था कि रैक लोडिंग से पहले ही उसे सभी जानकारियां मिल जाती थीं.
अब माल परिवहन राजस्वनिर्धारण जैसे मौजूदा फैसलों को फिर से खंगाला जा सकता है. जांच बिंदु में यह भी शामिल है कि कहीं कुछ फैसले व्यापारियों के दबाव में तो नहीं हुए हैं. 2025 तक माल परिवहन को दोगुना करने का लक्ष्य दिया गया था. पिछले सप्ताह ही परिचालन विभाग ने अपने 16 स्टेशन मास्टर का तबादला कर दिया था. खास बात यह रही कि समस्तीपुर जंक्शन के स्टेशन अधीक्षक को छोड़कर चारों डिप्टी का तबादला एक साथ कर दिया गया.