बिहार में लूट की सबसे अधिक वारदात हाइवे पर हो रही हैं. डीजीपी एसके सिंघल की अध्यक्षता में ऑनलाइन बैठक में यह जानकारी सामने आयी है. डीजीपी ने अपराध को रोकने के लिए सभी एसएसपी- एसपी को रोजाना प्रत्येक थाना के पदाधिकारियों से नियमित बात करने के लिये कहा है. एसएसपी हर दिन उनको टॉस्क देंगे.
एसडीपीओ तथा अंचल निरीक्षक के काम की निगरानी करेंगे. वहीं किस थाना में कितनी गिरफ्तारी हुई इसकी प्रतिदिन की मानीटरिंग की जिम्मेदारी एसडीपीओ और अंचल निरीक्षक को दी गयी है. प्रतिदिन की समीक्षा के आधार पर पुलिस पदाधिकारी दंडित और पुरस्कृत किये जायेंगे. मंगलवार को सभी रेंज और जिलों के पुलिस पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में पुलिस महानिदेशक ने गिरफ्तारी, कांडों का निबटारा सहित किस जिला ने पूर्व के निर्देशों पर कितना पालन किया इसकी जानकारी ली.
एडीजीपी सीआइडी जितेंद्र कुमार ने सभी क्षेत्रीय वरीय पुलिस पदाधिकारियों के साथ पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से डकैती तथा लूट के कांडों की समीक्षा की. स्पष्ट निर्देश दिया कि अधिकांश लूट की घटनाएं राजमार्गों पर होती हैं. इन पर अंकुश लगाना जिला पुलिस अधीक्षकों की प्राथमिकता होनी चाहिए. बैठक में एडीजीपी विधि व्यवस्था संजय सिंह सहिम मुख्यालय के सभी आइजी आदि मौजूद रहे.
एडीजीपी (मुख्यालय) जितेन्द्र सिंह गंगवार ने कहा कि एफआइआर और लंबित कांडों के अनुपात में वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी का अनुपात भी होना चाहिए. इसके लिए सूत्र दिया कि हर थाना में प्रत्येक पारी में कम से कम 25 संदिग्धों के साथ रोको-टोको तथा फोटो की प्रक्रिया अपनायी जाये. एडीजीपी ने कुछ दिन पहले एक थाना का निरीक्षण किया था.
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एडीजीपी ने प्रत्येक पारी में ड्यूटी पर प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों को कम से कम 25 संदिग्धों के साथ रोको टोको तथा फोटो की प्रक्रिया अपनाने को कहा था. इसके बेहतर परिणाम निकले हैं. पुलिस बल की पैदल मूवमेंट, टारगेट निर्धारित गिरफ्तारी , कोर्ट को समय पर केस डायरी उपलब्ध कराने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एंटी लिकर टास्क फोर्स (एएलटीएफ) के लिये जल्द वाहन उपलब्ध होंगे.