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Prabhat Khabar Explainer : छापे में जब्त ज्वेलरी, Gold-कीमती सामानों की कैसे की जाती है सुरक्षा

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ओर से 15 अक्टूबर 2018 को सरकारी विभागों या जांच एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए कीमती सामानों के रखरखाव और भंडारण को लेकर एक दिशानिर्देश जारी किया था, जिसे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने वर्ष 2015 में मंजूरी दी थी.

नई दिल्ली : भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसियां सक्रिय हैं. इन जांच एजेंसियों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) समेत कई ऐसी एजेंसियां हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी अभियान में छापेमारी के साथ-साथ रुपये-पैसे, सोना-चांदी, कीमती गहनों आदि को जब्त करती हैं. इस बीच, हर किसी के मन में यह सवाल जरूर पैदा होता होगा कि आखिर जांच एजेंसियां छापेमारी के दौरान जिन कीमती सामानों को जब्त करती हैं, उनका रखरखाव कैसे किया जाता है या उनकी सुरक्षा के इंतजाम कैसे रहते हैं? आइए, जानते हैं जब्त कीमती सामानों की सुरक्षा के लिए किए गए इंतजाम की कुछ प्रक्रिया…

सीबीआईसी ने 2018 में जारी किया गाइडलाइन

बता दें कि कि केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ओर से 15 अक्टूबर 2018 को सरकारी विभागों या जांच एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए कीमती सामानों के रखरखाव और भंडारण को लेकर एक दिशानिर्देश जारी किया था, जिसे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने वर्ष 2015 में मंजूरी दी थी. इस दिशानिर्देश में सीमा शुल्क विभाग समेत तमाम सरकारी विभागों और जांच एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए कीमती सामानों की सुरक्षा की प्रणाली को मजबूत करने के लिए बहु-अनुशासनात्मक समिति के गठन की सिफारिश की गई थी.

क्या है सीबीआईसी की गाइडलाइन

सीबीआईसी ने जब्त किए गए मूल्यवान सामानों को संभालकर भंडारण करने और उन्होंने सुरक्षित रखने के लिए फील्ड अफसरों को ‘इंटेलिजेंट की मैनेजमेंट सिस्टम’ लगाने के निर्देश दिए हैं.

  • कीमती सामान वाले पैकेटों को बार-कोड किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इन्वेंट्री को सही तरीके से बनाए रखा गया है.

  • दिल्ली कस्टम की तर्ज पर कस्टम वेयरहाउस में ‘ई-मालखाना’ की व्यवस्था शुरू की जाए.

  • स्ट्रांग रूम/मूल्यवान गोदामों तक पहुंच केवल अधिकृत अधिकारियों तक ही सीमित हो.

  • एक इंटेलीजेंस की मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किया जा सकता है, जहां अधिकृत अधिकारी बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही चाबियों तक पहुंच सकते हैं.

  • इस प्रणाली में यह सुनिश्चित करने के लिए एक एक्सपर्ट की एक टीम शामिल होनी चाहिए कि चाबियों तक तभी पहुंचा जा सकता है, जब सीसीटीवी सिस्टम सक्रिय हो. यह सभी लेनदेन का

  • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाएगा और जवाबदेही को मजबूत करेगा.

  • सीलबंद कंटेनरों का सकल वजन पंचनामा या महाजार में दर्ज किया जाना चाहिए और इस वजन को समय-समय पर और साथ ही सौंपने या अधिग्रहण आदि के समय जांचा जाना चाहिए.

  • इससे चोरी या प्रतिस्थापन के मामलों का पता लगाने में मदद मिलेगी.

  • सीबीआईसी की गाइडलाइन में यह भी सुझाव दिया गया है कि जब्त किए गए सामानों की समय-समय पर जांच करने की दृष्टि से सभी स्ट्रांग रूम को इलेक्ट्रॉनिक तराजू और एक्स-रे मशीनों से लैस किया जाना चाहिए.

  • कीमती सामान की आवाजाही के दौरान चोरी और प्रतिस्थापन को रोकने के लिए सभी पैकेटों को जीपीएस के साथ टैग किया जाना चाहिए.

  • क्षेत्रीय कार्यालयों को जब्त कीमती सामान की चोरी को रोकने के लिए आंतरिक प्रणालियों और प्रक्रियाओं को और मजबूत और सुरक्षित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी करनी चाहिए.

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दिल्ली पुलिस का नायाब तरीका

भारत की राजधानी दिल्ली में पुलिस के द्वारा जब्त की गई नकदी को दीमक, चूहों और मालखाने में रखे जाने के बाद चोरी से बचाए रखने के लिए एक नायाब तरीका अख्तियार किया गया. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने जब्त रुपयों को दीमक, चूहों और मालखाने में रखे जाने के बाद होने वाली चोरी से बचाए रखने के लिए सावधि जमा खाता खोलने की योजना बनाई थी. रिपोर्ट के अनुसार, जब्त नकदी और ज्वेलरी को राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करने की योजना बनाई गई. पुलिस की योजना के अनुसार, नकदी और ज्वेलरी जब्ती के मामले में अदालत का फैसला आने तक रुपये-पैसे और गहनों को बैंकों में जमा कराने के लिए खाता खोल दिया जाए. इसके बाद बैंकों में जमा रकम से मिलने वाले ब्याज को सरकारी खजाने में जमा कराया जाए या फिर तस्करी और जूआ आदि की सूचना देने वाले को इनाम के तौर पर दिया जाए. इससे जब्त नकदी और ज्वेलरी की सुरक्षा आसान हो जाएगी और ब्याज के तौर पैसे की आमदनी भी हो जाएगी.

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