MIG-21 Aircraft: भारतीय वायु सेना (IAF) ने 2025 तक मिग -21 बाइसन (MiG-21 Bison) विमान के सभी स्क्वाड्रन को रिटायर करने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि हाल ही में सोवियत युग के लड़ाकू जेट विमानों की घातक दुर्घटनाओं ने सुरक्षा चिंताएं बढ़ा दी हैं. मिग-21 के ऐसे ही हादसों को देखते हुए एयरफोर्स ने इन विमानों को अपने जखीरे से बाहर करने का अहम फैसला लिया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना इनकी जगह हल्के स्वदेशी सुखोई-30 (Su-30) जैसे अधिक सक्षम लड़ाकू विमानों को लाने जा रही है. बता दें कि गुरुवार को ही बाड़मेर में मिग-21 बायसन एयर क्राफ्ट के हादसे का शिकार होने के बाद छह दशक पुराने इन लड़ाकू विमानों को रिटायर करने की मांग जोर पकड़ने लगी. इसी कड़ी में भारतीय वायु सेना 30 सितंबर तक मिग -21 बाइसन विमान के एक और दस्ते को रिटायर कर देगी और 2025 तक इसके शेष बेड़े को भी खत्म कर देगी. इसके साथ ही सैन्य प्राधिकरण को एलसीए तेजस (LCA Tejas) विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने का कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
बताते चले कि मिग-21 लंबे समय से भारतीय वायुसेना की कामयाबी का आधार रहा है. हालांकि, इसके बावजूद इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है. गौरतलब है कि कल 28 जुलाई को राजस्थान में मिग-21 टाइप 69 ट्रेनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विंग कमांडर एम राणा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितिया बल की मौत हो गई. आईएएफ (IAF) के सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर एयरबेस से बाहर स्थित 51 स्क्वाड्रन को 30 सितंबर को नंबर प्लेट किया जा रहा है. इसके बाद, इन विमानों के केवल तीन दस्ते सेवा में रह जाएंगे और वर्ष 2025 तक चरणबद्ध तरीके से ये भी बाहर हो जाएंगे. हर साल इन विमानों में से एक स्क्वाड्रन नंबर प्लेटेड किया जाएगा.