Hariyali Teej 2022: रविवार को मनाई जाएगी हरियाली तीज, जानें शुभ मुहूर्त और विधि
हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है. हरियाली तीज की तिथि 31 जुलाई, 2022 को 03:01:48 से आरंभ होगी. और 1 अगस्त, 2022 को 04:20:06 पर तृतीया तिथि समाप्त होगी.
हरियाली तीज तृतीया तिथि आरंभ: 31 जुलाई – सुबह 02 बजकर 59 मिनट से शुरू
तृतीया तिथि समाप्त: 01 अगस्त – सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर
हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा.
हरियाली तीज मुख्यत: महिलाओं का पर्व है. सावन के महीने में जब संपूर्ण धरा पर हरियाली की चादर बिछी रहती है, प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं. हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है. सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज पर्व बहुत मायने रखता है. क्योंकि सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
हरियाली तीज पर इस साल एक बेहद शुभ योग रवि योग बन रहा है. इसे पूजा-पाठ, धर्म-कर्म के लिए बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही रवि योग में किए गए काम शुभ फल देते हैं. 31 जुलाई की दोपहर 02:20 बजे से 1 अगस्त की सुबह 06:04 बजे तक रवि योग रहेगा. हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने के साथ-साथ माता पार्वती को श्रृंगार की चीजें अर्पित करना चाहिए.
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है. इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है..
1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें. एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें.
2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें.
3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है. इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं.
हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है. हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया. इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है.