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Jharkhand News: गुमला में एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत, दहशत में ग्रामीण, तीन बच्चे भी हुए अनाथ

बुखार, पेट और बदन दर्द की शिकायत के बाद एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गयी. तीनों की मौत छह दिनों के अंतराल में हुआ है. तीन लोगों की मौत से तीन बच्चे अनाथ हो गये हैं. वहीं, एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत से ग्रामीणों में दहशत का भी माहौल है.

Jharkhand News: तीन वर्ष पूर्व आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ में आत्महत्या करने वाले किसान शिवनाथ उरांव की पत्नी सहित तीन लोगों की महज छह दिनों में बारी-बारी से असमय मृत्यु से गांव में दहशत का माहौल है. मामला गुमला जिला अंतर्गत सिसई ब्लॉक स्थित नगर पंचायत के गोखुलपुर पतराटोली गांव की है. जानकारी के अनुसार, गुरुवार को परिवार की एक बेटी अमृता कुमारी (13 वर्ष), शनिवार को मां तेतरी देवी (40 वर्ष) और सोमवार को दूसरी बेटी शांति कुमारी (8 वर्ष) की अचानक मौत हो गयी. मौत से पूर्व सभी ने बुखार, पेट दर्द और बदन दर्द की शिकायत की थी.

क्या है मामला

इस संबंध में पीड़ित परिवार के दामाद कृष्णा उरांव एवं रिश्तेदार विश्वनाथ उरांव ने बताया कि सोमवार को शिवनाथ की बेटी अमृता कुमारी एवं मां तेतरी को बुखार और पेट दर्द होने पर गांव में ही डॉक्टर से इलाज कराया था. खून जांच में अमृता को टाइफाइड निकलने पर तीन दिनों तक इंजेक्शन दिया गया था. गुरुवार को अचानक तबीयत अधिक खराब होने पर एंबुलेंस बुलाया गया. लेकिन, तब तक अमृता की मौत हो चुकी थी.

बुखार और पेट दर्द की शिकायत पर हुआ इलाज, हुई मौत

शुक्रवार को उसका अंतिम संस्कार के बाद शनिवार को मृतक की मां तेतरी देवी की भी तबियत बिगड़ी. उसे सिसई रेफरल अस्पताल लाया गया. इलाज के बाद उसे घर वापस ले जाया गया. शनिवार को अचानक उसकी तबियत फिर खराब हुई और अचानक उसकी मौत हो गयी. इसी दौरान परिवार की एक बच्ची शांति कुमारी ने भी बुखार और पेट दर्द की शिकायत की. अंतिम संस्कार में पहुंचे रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने आनन-फानन में शांति को सिसई के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान ही सोमवार सुबह उसकी भी मृत्यु हो गयी. जिसके बाद परिजनों ने उसके जीवित होने की आस में उसे सोमवार की सुबह रेफरल अस्पताल लाया, जहां चिकित्सकों ने शांति के मृत होने की जानकारी दी और एंबुलेंस से ही शव को गांव भेज दिया गया.

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गरीबी के कारण शिवनाथ ने की थी आत्महत्या

मालूम हो कि तीन वर्ष पूर्व फरवरी 2019 में पीड़ित परिवार के मुखिया शिवनाथ उरांव ने आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबकर पत्नी के अलावा पांच बेटी एवं एक बेटा को छोड़कर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था. इस खबर को प्रभात खबर में प्रमुखता से प्रकाशित किया था. शिवनाथ उरांव के आत्महत्या करने पर तत्कालीन सिसई विधायक सह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव, पूर्व शिक्षा मंत्री सह मांडर विधायक बंधु तिर्की, पूर्व विधायक सह शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव सहित कई लोग गांव आकर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, राशन कार्ड, आवास, पेंशन सहित अन्य सरकारी मदद दिया गया था.

जादू-टोना और अंधविश्वास के शक में हैं ग्रामीण

घटना को लेकर गांव के कुछ लोग जादू टोना, भूत प्रेत व अंधविश्वास से जोड़कर देख रहे हैं, तो वहीं कुछ ग्रामीण महामारी, दूषित जल पीने व चिकित्सा सुविधा की कमी को लेकर जोड़कर देख रहे हैं. अनाथ हुए बच्चों के भविष्य को लेकर ग्रामीणों ने चिंता जतायी है. ग्रामीणों ने कहा है कि गांव में एक मात्र चापाकल था जो तीन साल से अधिक समय से खराब पड़ा हुआ है. गांव में 15 परिवार में आबादी 80 के करीब है जो महज एकमात्र जर्जर कुआं का पानी पीने को मजबूर हैं. गहराई कम होने से गर्मी के शुरुआती दिनों में ही कुआं का पानी सूख जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल संकट व गांव तक पहुंच पथ की भारी समस्या है.

नगर पंचायत के मुखिया ने जताया दुख

अचानक हुए परिवार के तीन सदस्यों की मृत्यु के संबंध में नगर पंचायत के मुखिया रवि उरांव ने कहा कि उक्त घटना काफी दुखद है. अशिक्षा, अंधविश्वास और जानकारी का अभाव और बेहतर चिकित्सा की कमी से ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी घटनाएं घटित होती है. पीड़ित परिवार के सदस्यों सहित गांव में चिकित्सिकीय जांच शिविर एवं पेयजल सुविधा और परिवार को सरकारी प्रक्रिया के तहत लाभ दिलाया जायेगा.

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शिवनाथ के तीन बच्चे हैं जीवित‌

वर्तमान में परिवार में तीन नाबालिग बच्चे सूरज उरांव (15 वर्ष), चंद्रमुनी उर्फ चान्दो कुमारी (6 वर्ष) और मानती कुमारी (4 वर्ष) है. वहीं, बड़ी बेटी का विवाह हो चुका है. शिवनाथ उरांव के तीन भाइयों का परिवार और मां सोमारी देवी (70 वर्ष) और पिता गंगा उरांव (76 वर्ष) गांव में ही अलग-अलग रहते हैं.


रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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