पटना. पीएफआइ से जुड़े रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन व अधिवक्ता नुरुद्दीन के 48 घंटे की रिमांड पर लिये जाने की अवधि सोमवार को समाप्त हो गयी. इसके बाद दोनों को कड़ी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया. रिटायर्ड दारोगा को बेऊर जेल में और अधिवक्ता नुरुद्दीन को फुलवारीशरीफ जेल में रखा गया है. इन दोनों से एनआइए के अधिकारियों ने पूछताछ की. हालांकि इस दौरान सहयोग के लिए पटना पुलिस की टीम मौजूद थी. एनआइए ने पीएफआइ से जुड़े मामलों की जांच शुरू कर दी है.
सूत्रों का कहना है कि अतहर द्वारा पीएफआइ संगठन चलाने व देश विरोधी कार्य करने की जानकारी रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन को थी. अतहर ने रिटायर्ड दारोगा के फुलवारीशरीफ नया टोला स्थित मकान में कुछ दिनों पहले ही किराये पर कमरा लिया था और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त था. दूसरी ओर नुरुद्दीन से भी एनआइए ने पूछताछ की. इसमें कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं. नुरुद्दीन पर आरोप है कि यह सिमी से जुड़े लोगों को कानूनी मदद करता था.
सूत्रों के अनुसार, एनआइए इससे यह जानना चाहती थी कि इसने किन-किन लोगों की कानूनी मदद की थी और इसके एवज में उसे पैसे किस माध्यम से मिले थे. एनआइए को इस पूछताछ में कई अहम जानकारियां भी हाथ लगी हैं, जिसमें बाहर से फंडिंग होने की बातें सामने आयी हैं. हालांकि इस संबंध में फिलहाल पटना पुलिस का कोई भी अधिकारी जानकारी नहीं दे रहा है. इधर, एनआइए को पटना पुलिस ने अभी तक किये गये केस के अनुसंधान से संबंधित सारे कागजात को भी सौंप दिया है.
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पूछताछ में वकील नुरुद्दीन जंगी से कई सवाल दागे गये. इस दौरान पूछा गया कि वह कब से पीएफआइ से जुड़े थे. पीएफआइ से उन्हें कौन जोड़ा. अबतक उनके द्वारा पीएफआइ से जुड़े कितने सदस्यों की कोर्ट में पैरवी की गयी. पैरवी के एवज में उन्हें कितने पैसे मिलते थे. वहीं, रिटायर दारोगा के पीएफआइ के संपर्क में आने के बारे में पूछताछ की गयी. अतहर परवेज से उनका संपर्क कैसे हुआ. कितने स्लीपर सेल को वह जानते हैं, आदि सवालों के जवाब लिये गये.