Agra News: ताजनगरी में बंदरों का आतंक बढ़ता चला जा रहा है. आगरा में आने वाले तमाम पर्यटकों को बंदरों की वजह से समस्याओं से जूझना पड़ता है. कई बार आगरा में बंदरों ने कई लोगों की जान तक ले ली है. ऐसे में आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन और समाजसेवी प्रशांत जैन की जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और नगर निगम आगरा सहित नौ विपक्षियों को नोटिस जारी कर 17 अगस्त तक जवाब मांगे हैं.
आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन और समाजसेवी प्रशांत जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसमें उन्होंने आगरा में बंदरों के आतंक का जिक्र किया था. उन्होंने बताया था कि आगरा में चारों तरफ बंदरों ने लोगों को परेशान कर रखा है. बंदरों की वजह से लोगों की परेशानी का सबब इतना आगे बढ़ गया है कि अब लोगों को बंदरों से जंगली जानवरों की तरह डर लगने लगा है. वहीं अधिवक्ताओं ने याचिका में यह भी बताया कि आगरा में करीब 25 से 30,000 बंदर हैं और इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. यह बंदर क्षेत्रों में झुंड बनाकर घूमते हैं और किसी को भी काट कर घायल कर देते हैं बल्कि आगरा की विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल में बंदरों के आतंक से पर्यटक परेशान हैं.
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रतीकर दिवाकर एवं आशुतोष श्रीवास्तव कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 19 जुलाई को बंदरों से संबंधित एक जनहित याचिका पर संज्ञान लिया. जिसमें उन्होंने बताया कि बंदरों ने आगरा के लोगों को काफी परेशान कर रखा है. बंदरों की वजह से तमाम लोगों को गंभीर चोटें आई हैं और कई लोगों का कीमती सामान का नुकसान करने के साथ-साथ कइयों की जान भी जा चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार नगर निगम आगरा सहित नौ विपक्षियों को नोटिस जारी किया है और सभी से 17 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
जनहित याचिका दाखिल करने वाले आगरा के अधिवक्ताओं का कहना है कि शहर के लोगों को बंदरों से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति लेकर मंकी रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की जानी चाहिए. जहां पर बंदरों के पीने का पानी. गूलर, पाकड़, पीपल बरगद व दतरंगा आदि फलदार वृक्ष लगाए जाएं. बंदरों को सुरक्षित व वैज्ञानिक ढंग से समयबद्ध रूप में इन रेस्क्यू सेंटर में लाया जाना चाहिए.
रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत