Maheshpur Budha Mahadev Temple|Ranchi News|अनगड़ा-हुंडरू फॉल मार्ग पर महेशपुर में स्थित बूढ़ा महादेव मंदिर सावन महीने में आस्था का केंद्र बन जाता है. मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद यहां पूरी होती है. दंत कथाओं के अनुसार, 17 वीं सदी में शिकार के लिए गए महेश नामक एक शिकारी ने यहां शिवलिंग से अदभुत प्रकाश निकलते व पशु-पक्षियों को उसकी पूजा करते हुए देखा था.
शिकारी ने इस अदभुत घटना का जिक्र राजा से किया. राजा स्वयं शिकारी के बताए जगह पर गए. उन्होंने भी वह दृश्य देखा. इसके बाद मंत्रियों के संग विचार कर राजा शिवलिंग को खुदवाकर राजभवन ले जाना चाहा, लेकिन लाख प्रयास के बाद भी शिवलिंग को हिला नहीं पाये. बाद में राजा ने यहां मंदिर का निर्माण कराया एवं जगह का नाम भगवान शिव के नाम पर महेशपुर रखा.
आज भी यह शिवलिंग धरती की सतह के पांच फीट नीचे है. इसके ऊपर सखुआ व बरगद की लताएं लिपटी हुई है. मंदिर की देखभाल सदियों से स्थानीय मुंडा परिवार एवं पूजा-अर्चना गोस्वामी परिवार के द्वारा किया जाता आ रहा है.