Jamshedpur News: चांडिल में एनएच-32 बाइपास सड़क सात वर्षों से अधूरी है. कुछ हिस्सा तैयार है. कुछ में पुल का निर्माण हो रहा है. कुछ जगह काम नहीं हुआ है. हालांकि, सीमांकन कर दिया गया है. प्रभात खबर की टीम चांडिल बाजार व स्टेशन से सटे लेंगडीह गांव पहुंची. गांव के पास कई लोग खेत में काम कर रहे थे. रैयतदार अरूप महतो ने कहा कि बाइपास में हमारी जमीन जा रही है. जमीन की मुआवजा राशि वितरण में समानता नहीं है. चांडिल बाजार से सटे लेंगडीह गांव और चांडिल मौजा की मुआवजा दर में फर्क है. गांव के रैयतदार रामपति सिंह सरदार, दिलीप कुमार महतो, बुद्धेश्वर महतो, सुबोध कुमार महतो, सोनू सिंह, विकास महतो ने जमीन अधिग्रहण के लिए जारी नोटिस से लेकर मुआवजा दर के कागजात को दिखाया. उन्होंने कहा कि हम जमीन देने को तैयार है, परंतु उचित मुआवजा मिलना चाहिए. रैयतदार अरूप महतो ने बताया कि चांडिल मौजा में प्रति डिसमिल 88,000 रुपये मुआवजा दर है, जबकि लेंगडीह में 16,696 रुपये संशोधन रेट तय है. इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर एनएचएआइ के दुर्गापुर कार्यालय तक गये, लेकिन समाधान के नाम पर कुछ नहीं हुआ.
बाइपास सड़क के लिए चार मौजा की जमीन अधिग्रहण हो गया है. वहीं पांच मौजा में मुआवजा दर कम रहने के कारण ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. प्रशासन व एनएचएआइ सात वर्षों में मुआवजा पर सहमति नहीं बना सका है. नतीजा, अब तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है. बाइपास सड़क का निर्माण अधूरा पड़ा है. वाहनों को चांडिल बाजार होकर गुजरना पड़ रहा है.
टाटा-पुरुलिया-धनबाद मार्ग (एनएच -32) पर चांडिल बाजार के पास बाइपास सड़क नहीं बनने से दो दशक से लोग परेशान हैं. चांडिल वासियों को जाम के साथ ध्वनि प्रदूषण की मार झेलनी पड़ रही है. चांडिल बाजार के पास एनएच-32 पर डिवाइडर नहीं है. ऐसे में दोनों ओर से बड़े वाहन आने से जाम लगता है. इसमें स्कूल बसें व एंबुलेंस भी फंस जाती हैं. चांडिल के रैयतदार जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन उचित मुआवजा नहीं मिलने से बाइपास सड़क नहीं बन पा रही है.
झारखंड को बंगाल से जोड़ने वाली सड़क (एनएच-32) पर प्रतिदिन बड़े व छोटे लगभग 10 हजार से अधिक वाहनों का परिचालन होता है. चांडिल बाजार पहुंचते ही जाम की स्थिति बनती है. चांडिल बाजार क्षेत्र में दो किमी दूरी वाहनों को पार करने में एक घंटा समय लग जाता है.
चांडिल शहर में बस स्टैंड नहीं है. इसके कारण एनएच -32 के किनारे बसें रुकती हैं. चांडिल से बोकारो, धनबाद सहित बंगाल जाने के लिए अधिकांश बसें जमशेदपुर से आती हैं. अधिकांश बसों का ठहराव चांडिल में होता है. सभी बसों का ठहराव सड़क किनारे होता है. इस कारण सड़क और संकीर्ण हो जाती है.
एनएचआई ने सड़क निर्माण के साथ बस स्टैंड का प्रस्ताव रखा है. चांडिल बाजार से सटे रावताड़ा में बस स्टैंड बनाने का प्रस्ताव है. बाईबास सड़क बनने के बाद यहां बस स्टैंड बनाना है. ऐसे में कुछ हद तक जाम से मुक्ति मिलेगी.
बाइपास सड़क निर्माण में चांडिल के लेंगडीह, बरुडुंगरी व रावताड़ा गांव के रैयतों को अबतक मुआवजा नहीं दिया गया है. इसे लेकर पांच मौजा के रैयतों ने सांसद संजय सेठ, वर्तमान विधायक सबिता महतो व पूर्व विधायक स्व साधुचरण महतो से गुहार लगा चुके हैं. पूर्व विधायक स्व साधुचरण महतो ने फरवरी 2018 में मुआवजा राशि बांटने आये तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी दीपू कुमार के साथ ग्रामीणों का पक्ष लेकर मारपीट की थी.
प्रभात खबर की टीम जब रावताड़ा पहुंची. तो यहां लोग एक पेड़ के नीचे बैठकर बात कर रहे थे. बाइपास सड़क के संबंध में पूछते ही बताया कि सड़क के लिए जमीन कौन नहीं देगा. हालांकि, उचित मुआवजा मिलना चाहिए. रैयतदार धीरेन महतो ने जमीन अधिग्रहण को लेकर अब तक हुई कार्यवाही को विस्तार से बताया. ग्रामीणों ने बताया कि हम चांडिल मौजा के मुताबिक मुआवजा मांग रहे हैं. मुआवजा का संशोधन रेट को लेकर रैयतदार एनएचएआई के पश्चिम बंगाल ऑफिस गये, तो बताया गया कि जिला प्रशासन से रेट तय होता है. रैयतदार जिला प्रशासन से मिलने गये, तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला. रैयतदारों को अब तक न मुआवजा मिला है, न काम आगे बढ पाया. इसके बाद टीम घोडालेंगी के जागरण महतो, लेंगड़ीह के सुबोध महतो, रावतारा के निखिल महतो, बुरूडुंगरी को रोहीन महतो से जानकारी ली.
एनएच-32 चौडीकरण कार्य एनएचएआइ कर रहा है. जमीन अधिग्रहण की जिम्मेवारी भू-अर्जन विभाग सरायकेला की है. भू-अर्जन विभाग ने रैयतदारों को पहले नोटिस जारी किया. मौजावार अलग अलग दर होने व शहर से सटे मौजा में कम दर के कारण रैयतदारों ने समान दर पर मुआवजा वितरण की मांग की. समान दर पर मुआवजा नहीं मिलने पर रैयतदारों ने मुआवजा लेने से इंकार कर दिया.
चांडिल में जाम का मुख्य कारण वाहनों की संख्या में इजाफा व सड़क का संकीर्ण रहना है. झारखंड को बंगाल से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण आजादी के बाद हुआ. 70 के दशक में इसे एनएच का दर्जा मिला. उस वक्त चांडिल बाजार व वाहनों की संख्या का देखते हुए निर्माण हुआ. आज वाहनों की संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि सड़क उसी स्थिति में है. चांडिल बाजार क्षेत्र का विस्तार हुआ है.
चांडिल में अक्सर सड़क जाम से स्कूल बस व एंबुलेंस फंसती हैं. समय पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत होती है. एंबुलेंस को पार कराने में काफी मशक्कत करनी होती है. अक्सर स्कूल बस भीड़ में फंस जाती है. बच्चों को जाम में इंतजार करना पड़ता है. कई बार बच्चे स्कूल देर से पहुंचते हैं.
सड़क निर्माण के लिए पांच गांवों के रैयतों की मुआवजा राशि रैयतदारों द्वारा नहीं लिए जाने पर भू-अर्जन विभाग ने एलओ कोर्ट चाईबासा में राशि जमा कर दी. इसके बाद एलए कोर्ट ने वापस भू अर्जन विभाग को भेज दिया.