सुमित, पटना. सूबे में धीरे-धीरे नशे का कारोबार गली-मुहल्लों से लेकर स्कूल कॉलेजों के आस-पास फैलने लगा है. गांजे से शुरू हुई नशे की यह लत अब धीरे-धीरे स्मैक व ब्राउन शुगर तक पहुंच रही है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान बिहार पुलिस और पटना जोन के नारकोटिक्स ब्यूरो में दर्ज इससे जुड़े मामले और बढ़ी गिरफ्तारियां इसकी पुष्टि करती हैं. इन मामलों में पुलिस छोटे-छोटे ड्रग पैडलरों पर फोकस कर रही है, लेकिन बड़े कारोबारी अब तक गिरफ्त से बाहर हैं. शहर के नामचीन स्कूलों के इर्दगिर्द नशा कारोबारियों का गिरोह सक्रिय है. हालत यह है कि गली मुहल्लाें से लेकर अब स्कूली छात्रों तक नशे का जहर फैलता जा रहा है.
सूबे में अवैध मादक पदार्थों की जब्ती के मामले और गिरफ्तारियों की संख्या हर साल बढ़ रही है. बिहार पुलिस ने इस साल अब तक कुल 4874.62 किलो गांजा और 13.83 किलो चरस जब्त किया है. इससे जुड़े मामलों की निगरानी को लेकर विभाग ने इओयू के अंतर्गत ही एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है. जब्त मादक पदार्थों के सुरक्षित रखरखाव को लेकर सभी जिलों में 46 डबल लॉक सेफ स्टोरेज का संचालन किया जा रहा है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बिहार में पूर्वोत्तर के राज्यों से लेकर पड़ोसी देश नेपाल, मुंबई व कोलकाता के ड्रग डीलरों का नेटवर्क फैला है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो पटना जोन के आंकड़ों बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बिहार ओपियम और हशीश जैसे ड्रग्स की जब्ती मामले में देश में अव्वल, जबकि गांजा जब्ती में आंध्र प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर रहा है. खास कर 2015 में शराबबंदी से पहले बिहार में हशीश जैसे मादक पदार्थ की कोई जब्ती नहीं हुआ करती थी, लेकिन 2017 में यह 244 किग्रा बरामद हुआ. 2015 में जब्त 1.7 किग्रा ओपियम की मात्रा 2019 अगस्त तक बढ़ कर 323 किग्रा तक पहुंच गयी. मादक पदार्थों की खपत पटना के साथ गोपालगंज, किशनगंज, पूर्णिया आदिजिलों में अधिक है.
नशा उन्मूलन केंद्रों के संचालक बताते हैं कि नशे की लत के शिकार 13-14 साल के बच्चे भी केंद्र पहुंच रहे हैं. इनमें किसी को ड्रग्स की आदत है तो किसी को ब्राउन शुगर की. नशे की दवाओं के साथ इंजेक्शन भी लिया जा रहा है. नशे के आदी युवा अपनी इस लत को पूरा करने के लिए दवाओं के ओवरडोज का भी सहारा लेते हैं. जीएम रोड के दुकानदार बताते हैं कि ज्यादातर युवा और टिनएजर दर्दनिरोधक दवाएं मसलन पेट दर्द में दी जाने वाली ऐना फोर्टिन, डायलोन आदि का ओवरडोज इस्तेमाल करते हैं. इसलिए बिना डाक्टर की पर्ची के इन्हें दवाइयां नहीं दी जाती.
अधिवक्ता सुधीर कुमार सिन्हा ने बताया कि नशे के तस्कर कानून की खामियों का भी लाभ उठा रहे हैं. 100 ग्राम या उससे अधिक गांजा या स्मैक के साथ पकड़े जाने पर ही कानून के तहत तस्करी का आरोपित माना जाता है. इससे कम बरामदगी पर उसे मादक पदार्थ का सेवन करने वाला बताया जाता है. इसी पहलू का लाभ उठा तस्कर 10-10 ग्राम की पुड़िया लेकर निकलते हैं. पकड़े जाने पर न्यायालय से उन्हें राहत मिल जाती है. पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि मादक पदार्थों की जब्ती बढ़ी है. मई 2021 में 53 ग्राम हेरोइन की तुलना में मई 2022 में 513 ग्राम हेरोइन व 549 किग्रा गांजा की बरामदगी हुई.
स्मैक ऐसा नशा है, जिससे मुंह से दुर्गंध नहीं आती है. ऐसे में परिवार के दूसरे सदस्य को इसका पता भी नहीं चलता है. लत बढ़ने पर उसकी पूर्ति करने के लिए घर में छोटी-बड़ी चोरियां या बड़े अपराध करने पर अभिभावकों को उनकी हरकत का पता चलता है. तब तक वह नशे का पूरी तरह आदी हो चुका होता है.
-डॉ बिंदा सिंह, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट
कुछ युवा शौकिया तौर पर मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और बाद में इसके आदी हो जाते हैं. एक बार इस्तेमाल करने के बाद बाद में नहीं मिलने पर शरीर अकड़ने लगता है और आंख व नाक से पानी गिरने लगता है. युवाओं को स्मैक ही नहीं, बल्कि हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए.
-डॉ दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ जनरल फिजिशियन