शशिभूषण कुंवर/पटना. राज्य में सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम बंद है. लेकिन, एक बार भी निर्वाचित होने वाले विधायक व विधान परिषद सदस्यों को उनके कार्यकाल समाप्त होने के बाद जीवनपर्यंत पेंशन का लाभ मिलता है. यहीं नहीं, उनके निधन के बाद भी पत्नी को पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाता है. राज्य कोष से सेवानिवृत्त विधायकों की पेंशन पर इस वित्तीय वर्ष में 63 करोड़ 65 लाख के बजट का प्रावधान किया गया है, जबकि विधान परिषद के सेवानिवृत्त सदस्यों की पेंशन मद में 11 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
यह माना जा रहा है कि राज्य में नौ सौ से अधिक पूर्व विधायकों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है. वहीं, 140 विधान परिषद के पूर्व सदस्य पेंशन पा रहे हैं. विधानसभा के पूर्व सदस्यों के चिकित्सा खर्च को शामिल कर दिया जाये, तो इस पर ढाई करोड़ और विधान परिषद के पूर्व सदस्यों के चिकित्सा खर्च पर एक करोड़ का प्रावधान किया गया है. बिहार विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होने के बाद इन सदस्यों को वेतन-भत्ते और दूसरी सुविधाओं के नाम पर एक लाख 35 हजार मिलता है.
विधानसभा या विधान परिषद का पूर्व सदस्य होने के बाद भी उनको जीवनयापन के लिए पेंशन के रूप में अच्छी रकम दी जाती है. भूतपूर्व होने के बाद उन्हें पेंशन और कई सुविधाएं आजीवन मिलती हैं. निधन होने के बाद उनके आश्रित को भी आजीवन पारिवारिक पेंशन मिलती है. बिहार में यह भी प्रावधान है कि कोई राजनेता एक बार विधायक बनता है और उसके बाद फिर सांसद बन जाता है, तो उसे विधायक की पेंशन के साथ-साथ लोकसभा सांसद का वेतन और भत्ता मिलता है. इसके बाद अगर वह किसी सदन का सदस्य नहीं रह जाता है, तो उसे विधायक के पेंशन के साथ-साथ सांसद का पेंशन भी मिलता है.
विधानसभा के पूर्व सदस्यों में सदानंद सिंह और रमई राम सबसे अधिक पेंशन पाने वाले नेता थे. अब इन दोनों का निधन हो चुका है. जानकारों के अनुसार बिहार में आठ ऐसे पूर्व विधायक हैं, जिनको एक से डेढ़ लाख तक पेंशन मिलती है, जबकि 60 से अधिक को 75 हजार से एक लाख तक पेंशन मिलती है. राज्य में 254 पूर्व विधायक व विधान पार्षद 50 से 75 हजार तक प्रतिमाह पेंशन पाते हैं.
Also Read: अब NIA करेगी पटना में जेहादी ट्रेनिंग मामले की जांच, बिहार पुलिस ने की 26 संदिग्धों की पहचान, 5 गिरफ्तार
बिहार में एक भूतपूर्व विधायक या भूतपूर्व विधान परिषद सदस्य को 35 हजार रुपये न्यूनतम पेंशन के तौर पर मिलते हैं. यह सिर्फ एक साल विधायक रहने पर ही मिलती है. इसके बाद वह सदस्य जितने साल विधायक के रूप में काम करता है, उतने वर्ष तक हर साल उनकी पेंशन में तीन-तीन हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो जाती है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पांच साल तक विधायक या विधान परिषद सदस्य रहता है, तो उसे एक साल के लिए 35 हजार रुपये और अगले चार साल के लिए अतिरिक्त 12 हजार रुपये यानी कुल 47 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन के रूप में जीवनपर्यंत मिलता है. वहीं, विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है. इस तरह किसी एक पूरे टर्म के बाद रिटायर होने पर प्रतिमाह पचास हजार रुपये के पेंशन के वे हकदार होते हैं.
पूर्व विधायक और पूर्व विधान पार्षद के कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद उन्हें मिलने वाली पेंशन राशि को उनकी मौत हो जाने पर 75 प्रतिशत पेंशन की रकम पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलती है.