Bihar News: जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड क्षेत्र के आनंदपुर गांव निवासी ईश्वर राणा का बड़ा पुत्र पिंटू राणा की पहचान एक दुर्दांत नक्सली के रूप में होती है. उसपर बिहार-झारखंड दोनों जगह इनाम रहा. पिंटू राणा पहले अत्यंत गरीब परिवार के रहने की बजह से परिवार का भरण पोषण के लिए दिल्ली में मजदूरी किया करता था.
इसे लेकर जानकारी देते परिवार के एक सदस्य ने बताया कि घटना 2007 की है. जब पिंटू राणा दिल्ली से घर आया हुआ था. उस समय गांव में धान का रोपनी चल रहा था. घर आने के बाद गांव में भी मजदूरी का काम किया करता था. गांव के कुछ युवक के साथ मिलकर धान बिचड़ा उखाड़ने जाया करता था. गांव के कुछ दबंग लोगों का उस समय चलती था.
एक दबंग व्यक्ति ने एक दिन पिंटू राणा को कहा कल हमारे खेत का धान बिचड़ा उखाड़ने जाना है. जिसपर पिंटू राणा ने बोला कि दूसरे किसान का कहा हुआ है. इतने पर उसने पिंटू राणा का मारना शुरू कर दिया. उसे बचाने उसका बाप-भाई आया तो उसके साथ भी मारपीट किया. उस समय लक्ष्मीपुर इलाके में नक्सली संगठन का काफी बोल बाला था.
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गुस्से में आकर पिंटू नक्सली संगठन से जुड़ गया और इसके बाद वह पीछे मुड़कर नहीं देखा. देखते-ही-देखते संगठन में मजबूत पकड़ बना लिया. पिन्टू राणा पर लक्ष्मीपुर थाना में आधा दर्जन से ऊपर मामले दर्ज है जिसमें कांड संख्या 136/2013, 235/2014, 55/2015, 16/2016, तथा 413/2019 प्रमुख है.
जेबी जोन के दूसरे सबसे हार्डकोर नक्सली पिंटू राणा तथा उसकी पत्नी करूणा ने जेबी जोन में सक्रिय रुप से संगठन की कमान संभाल रखी थी. करुणा दी गिरिडीह जिले के पीरटांड़ प्रखंड की रहने वाली है. पिंटू राणा व करुणा दी के नेतृत्व में नक्सली दस्ता गिरिडीह जिले के गावां, तिसरी, देवरी और बिहार के जमुई, नवादा एवं मुंगेर जिले में सक्रिय है.इस दस्ते के खात्मे के बाद अब संभावना है कि इस सीमावर्ती इलाके में नक्सलवाद का खात्मा किया जा सकता है.
जमुई व गिरिडीह जिले के सीमावर्ती इलाकों को मिलाकर बने सीमांचल जोन की कमान पहले सिद्धू कोड़ा एवं सुरंग यादव संभाल रहा था. दोनों के साथ मिलकर पिंटू राणा ने गिरिडीह और जमुई जिले में भेलवाघाटी व चिलखारी नरसंहार, मुखिया पुत्र व उसके सहयोगी की हत्या समेत कई कांडों को अंजाम दिया है. गिरिडीह व जमुई जिले में पिटू पर नक्सली हिसा के 80 से अधिक मामले दर्ज हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan