एशिया कप 2022 (Asia Cup) पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. आर्थिक और राजनीति संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने आयोजन से अपना हाथ पीछे खींच लिया है. श्रीलंका क्रिकेट ने एशियाई क्रिकेट परिषद को इसकी जानकारी दे दी है कि बोर्ड देश में आर्थिक और राजनीतिक संकट के कारण आगामी एशिया कप टी20 टूर्नामेंट की मेजबानी करने की स्थिति में नहीं है.
लंका प्रीमियर लीग भी स्थगित
मौजूदा संकट के कारण श्रीलंका बोर्ड ने हाल में लंका प्रीमियर लीग (एलपीएल) के तीसरे सत्र को भी स्थगित कर दिया था.
क्या भारत में होगा एशिया कप
श्रीलंका के एशिया कप से हाथ पीछे खींचने के बाद ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि टूर्नामेंट का आयोजन भारत में हो सकता है. हालांकि इसपर अभी कोई घोषणा नहीं की गयी है. एसएलसी अधिकारियों ने सूचित किया है कि वे टूर्नामेंट की मेजबानी यूएई या किसी अन्य देश में करना चाहेंगे.
अपने देश में पाकिस्तान से भिड़ेगा भारत
अगर एशिया कप की मेजबानी भारत को दिया जाता है. तो सबसे बड़ी समस्या भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर होगी. सीमा विवाद की वजह से लंबे समय से न तो भारत पाकिस्तान द्विपक्षीय दौरे पर गया है और न की पाकिस्तान द्विपक्षीय सीरीज के लिए भारत आया है. हालांकि तटस्थ स्थान पर भारत और पाकिस्तान के बीच होता आया है.
टी20 वर्ल्ड कप से पहले होना है एशिया कप
अधिकारी ने कहा कि एशिया कप का आयोजन ऑस्ट्रेलिया में इस साल होने वाले टी20 विश्व कप से पहले अगस्त-सितंबर में होना है और ऐसे में एसीसी के अगले कुछ दिनों में घोषणा करने की संभावना है. अधिकारी ने कहा, यूएई अंतिम वैकल्पिक स्थल नहीं है, कोई और देश भी हो सकता है, भारत भी क्योंकि एसीसी और श्रीलंका क्रिकेट को पहले प्रतियोगिता के आयोजन की अंतिम स्वीकृति के लिए एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों से बात करनी होगी.
आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका, जनता ने किया सरकार के खिलाफ विद्रोह
श्रीलंका पिछले कुछ दिनों से आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. देश में पेट्रोल और खाद्यान्न की संकट उत्पन्न हो गयी है. लोगों को गैस और पेट्रोल लेने के लिए कई दिनों तक लाइन में खड़े रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पिछले दिनों श्रीलंकाई जनता ने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था. प्रदर्शनकारियों राष्ट्रपति भवन के अंदर घुसकर जमकर हंगामा किया था. प्रदर्शन को देखते हुए तात्कालिन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को आवास छोड़कर अन्य देश में शरण लेना पड़ा था.