Sawan 2022 : बरेली के प्रेमनगर स्थित प्राचीन श्री त्रिवटीनाथ मंदिर में हर दिन विधी-विधान एवं आस्था के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है. समय-समय पर यहां धार्मिक आयोजन भी चलते हैं, तो वहीं शाम ढलते ही आस्था की बयार बहने लगती है. मंदिर खुलने के तय समय से पहले ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इससे लंबी-लंबी लाइन लग जाती है. सुबह-शाम शंख और घंटों की आवाज के बीच मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को आनंद प्राप्त होता है. दूरदराज से यहां आकर श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं. कहा जाता है की मंदिर में उनकी हर इच्छा पूरी होती है.हर त्योहार पर मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं.
श्री त्रिवटी नाथ मंदिर के एक महंत ने बताया कि मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. बोले, जिस स्थान पर मंदिर है, वहां पहले घना जंगल था. यहां दूर-दूर तक इंसान नजर नहीं आते थे. वन्य जीव और जंतु जंगल में रहा करते थे. मगर, इसके आसपास बसे लोग जंगल में पशुओं को चराने आते थे. वर्ष- 1474 में एक चरवाहा दोपहर के वक्त आराम करते समय सो गया.उसको भगवान भोले शंकर का सपना दिखा. उन्होंने सपने में बताया कि यहां तीन वट वृक्ष के बीच में उनका शिवलिंग है.
चरवाहा कुछ देर बाद जागा. इसके बाद उसने खुदाई कराई. चारवाहे को जहां शिवलिंग दिखा था. वहां आसपास के लोग जलाभिषेक करने लगे. तीन वट वृक्षों के बीच शिवलिंग निकलने से उसको त्रिवटी कहने लगे. इसके अलावा वहां पर बड़ा टीला भी था. उस स्थान को पांचाल प्रदेश कहा जाता था, तो टीले की वजह से उसको टीबरी कहने लगे. मंदिर खुलने का समय सुबह पांच से दोपहर 12 बजे तक, और शाम को पांच बजे से रात्रि साढ़े नौ बजे तक है.
प्रेमनगर स्थित प्राचीन श्री त्रिवटीनाथ मंदिर में पूरे विधी-विधान एवं अस्था के साथ भगवान भोलेनाथ की 60 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है. मंदिर में भोलेनाथ की प्रतिमा देखने के लिए लोगो का तांता लगा रहता है. ये प्रतिमा लोगो के बीच आस्था और आकर्षण का केंद्र बनी है.इसका शुभारंभ कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है.