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Sri Lanka President Polls: श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव आज, 44 साल में पहली बार सीधे तौर पर होगी चुनाव

Sri Lanka President Polls: देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने पर भड़के विरोध प्रदर्शनों के चलते देश छोड़कर भागे गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद नए राष्ट्रपति के लिए आज चुनाव होगा.

श्रीलंका की संसद 44 वर्षों में पहली बार बुधवार को त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव करेगी, जिसमें अंतिम क्षणों में राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर दुल्लास अल्हाप्पेरुमा की बढ़त का संकेत मिलता है. विपक्षी दलों के साथ-साथ उनकी मूल पार्टी के अधिकतर सांसदों का उन्हें समर्थन है. विक्रमसिंघे, अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मंगलवार को सांसदों द्वारा 20 जुलाई के राष्ट्रपति चुनाव के लिए तीन उम्मीदवारों के रूप में प्रस्तावित किया गया था.

विरोध के बाद देश छोड़कर भागे राजपक्षे

देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने पर भड़के विरोध प्रदर्शनों के चलते देश छोड़कर भागे गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद नए राष्ट्रपति के लिए आज चुनाव होगा. एसएलपीपी के अध्यक्ष जी एल पीरिस ने मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं. हालांकि यहां के विश्लेषकों का मानना ​​है कि 73 वर्षीय विक्रमसिंघे आगे चल रहे हैं.

एसजेबी  ने अल्हाप्पेरुमा का किया समर्थन

राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम में, प्रमुख विपक्षी दल एसजेबी के नेता प्रेमदासा ने मंगलवार को अल्हाप्पेरुमा का समर्थन किया. अल्हाप्पेरुमा ने उनका समर्थन करने और राष्ट्रपति चुनाव से हटने के लिए प्रेमदासा का आभार व्यक्त किया. बाद में, अल्हाप्पेरुमा और प्रेमदासा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया. मीडिया के अनुसार, अल्हाप्पेरुमा के पक्ष में एक अन्य घटनाक्रम में, श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने चुनाव में उन्हें वोट देने का फैसला किया है.

दूसरी ओर, विक्रमसिंघे को लोकप्रिय अरागलया सरकार विरोधी आंदोलन से समर्थन नहीं मिला. अरागलया के नेता हरिंडा फोन्सेका ने कहा, हम रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद के लिए वैध उम्मीदवार के रूप में खारिज करते हैं. हालांकि, सबसे निर्णायक कारक जो इसे विक्रमसिंघे की ओर ले जा सकता है, वह है एसएलपीपी सांसदों की व्यक्तिगत असुरक्षा. उनमें से 70 से अधिक को आगजनी और हमलों का सामना करना पड़ा तथा एक की हत्या कर दी गई.

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राष्ट्रपति चुनाव में सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा

स्तंभकार कुसल परेरा ने कहा, “सबसे निर्णायक कारक व्यक्तिगत सुरक्षा होगा. यहां तक ​​​​कि जिनके घर क्षतिग्रस्त नहीं किए गए, उन्हें डर है कि वे खतरे में पड़ सकते हैं. उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो दृढ़ निर्णय ले सके. उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे ने सुरक्षा स्थिति को पहले से ही नियंत्रण में लाने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त इरादा दिखाया है. विक्रमसिंघे के एक प्रमुख सहयोगी वजीरा अबेयवर्धने ने दावा किया कि कार्यवाहक राष्ट्रपति 125 मतों के साथ विजेता बनकर उभरेंगे. इस बीच, एसएलपीपी के अध्यक्ष पीरिस ने कहा कि उनकी पार्टी का बहुमत राष्ट्रपति के रूप में अल्हाप्पेरुमा को नियुक्त करने के पक्ष में है.

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