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Sawan 2022: बार-बार होते बेहोश, नहीं टूटता दिव्यांग रंजीत बम का हौसला, हाथों के बल घसीट कर जा रहे बाबाधाम

श्रावणी मेला 2022 के दौरान बंगाल के रंजीत भी सुल्तानगंज से बाबाधाम की यात्रा पर हैं. रंजीत दोनों पैरों से दिव्यांग हैं लेकिन उनका हौसला लाचारी पर भारी है. कई बार बेहोश होने के बाद भी वो हाथों के बल घसीट कर बाबाधाम जा रहे हैं.

Shravani mela 2022: उत्तरवाहिनी गंगा सुल्तानगंज से जल लेकर बाबाधाम की सौ किलोमीटर की यात्रा पर अग्रसर हैं दोनों पैरों से दिव्यांग शिवभक्त रंजीत नोनिया. इस दिव्यांग शिवभक्त की भोलेनाथ के प्रति आस्था व कठिन भक्ति देख कांवरिया पथ के सभी श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों का रोम-रोम सिहर उठ रहा है.

हावड़ा स्टेशन पर पानी की बोतल बेचते हैं रंजीत बम

कोलकाता के बालू घाट निवासी रामेश्वर नोनिया के 40वर्षीय पुत्र रंजीत नोनिया जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. वे हावड़ा स्टेशन पर पानी की बोतल बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. रंजीत बाबा बैद्यनाथ धाम यानी देवघर की यात्रा पर निकल गये हैं.

हाथों के बल ही घसीट कर चौथी बार जा रहे बाबाधाम

पैरों से दिव्यांग रहने के कारण रंजीत अपने हाथों के बल ही घसीट कर बाबाधाम की यात्रा करते हैं. वे चौथी बार गंगाजल लेकर बाबा दरबार जा रहे हैं. सुल्तानगंज से नौ दिनों में वे करीब सत्तर किलोमीटर की यात्रा करते हुए कटोरिया पहुंचे हैं.

बार-बार होते बेहोश, पर नहीं टूटता हौसला

इस कठिन संकल्प यात्रा के दौरान सोमवार को रंजीत दो बार बेहोश भी हो गये. जमुआ मोड़ के निकट बेहोश होने पर उन्हें रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया. प्राथमिक उपचार की सेवा लेने के बाद जब वे वापस लौटे, तो पुन: बाबाधाम की ओर अग्रसर हो गये.

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बीमार पिता के स्वस्थ होने की कामना 

रंजीत आगे तो बढ़े लेकिन राजबाड़ा के निकट पहुंचने पर वे फिर एक बार बेहोश हो गये. समूचे रास्ते इस भक्त को कांवरियों व स्थानीय लोगों ने कई प्रकार की सेवाएं भी दी. दिव्यांग शिवभक्त रंजीत नोनिया ने बताया कि वे भोलेनाथ से अपने बीमार पिता के स्वस्थ होने की कामना करेंगे.

दोनों हाथों से लाचार शंकर बम को जानें

गौरतलब है कि श्रावणी मेला के दौरान कांवरिया पथ पर कई ऐसे कांवरिये दिख रहे हैं जिनमें हौसले का संचार कुछ ऐसा है जिसके सामने उनकी परेशानी भी बौनी साबित हो जाती है. गया के शंकर ठाकुर भी ऐसे ही एक कांवरिया हैं जो दोनों हाथों से लाचार हैं लेकिन सावन में दो बार बाबाधाम की यात्रा करते हैं.

Published By: Thakur Shaktilochan

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