गुमला : गुमला जिला के रायडीह में रहने वाले 4 बच्चों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. दरअसल प्रखंड के खुरसुता गांव के रहने वाले सुरेश भगत और उनकी पत्नी की मौत 4 साल पहले हो गयी थी. वो दोनों टीबी की बीमारी से ग्रस्त थे. गरीबी के कारण वे अपना इलाज ठीक ढंग से नहीं करा पाये. जिस कारण पहले सुरेश भगत की मौत हुई. इसके कुछ महीने बाद पत्नी अनीता देवी की भी मौत हो गयी.
माता पिता की मौत के बाद उनके 4 बच्चों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा तो उन्होंने भूख से बचने के लिए महुआ शराब बेचना शुरू कर दिया. शराब बेचकर जो पैसे मिलता था उससे घर का चूल्हा जलता था. अभी बरसात का समय है इसलिए महुआ शराब बनना बंद है. इसलिए इन 4 बच्चों के सामने भूखमरी की नौबत आ गयी है. अगर इन्हें प्रशासन से मदद नहीं मिली तो ये कुपोषण का शिकार हो जाएंगे.
इन 4 बच्चों में सबसे बड़ी सरिता कुमारी है जिसकी उम्र 17 वर्ष है. जिसके बाद पंकज भगत 15 वर्ष, सक्रांति कुमारी 10 वर्ष व ममता कुमारी 6 वर्ष है. इन्हें तत्काल मदद की जरूरत है. जिससे इनकी जीविका चल सके और ये भुखमरी से बच सके.
सरिता कुमारी व पंकज भगत घर में बड़े हैं. इसके बाद दो छोटी बहनें हैं. दोनों बड़े भाई-बहन ने अपनी छोटी बहनों को पढ़ाने के लिए खुद पढ़ाई छोड़ दी. ताकि वे किसी प्रकार मजदूरी व अन्य धंधा कर अपनी बहनों को भरपेट भोजन करा सके और पढ़ाई चालू रह सके. पंकज भगत ने कहा कि प्रशासन हमारी मदद करें. नहीं तो हम भूखे मर जायेंगे. हमलोग कहीं जाने में असमर्थ है. अधिकारी कहां बैठते हैं. यह भी नहीं जानते.
सरिता कुमारी ने कहा कि सरकार की तरफ से पिता सुरेश भगत ज़िंदा थे. तभी प्रधानमंत्री आवास योजना मिला था जो पिता के नाम पर था. परंतु पिता की मौत के बाद आवास भी अधूरा रह गया है. हमारा राशन कार्ड भी नहीं कि हम अनाज उठाव कर अपनी भूख मिटाते. अब तो जीवन में अंधेरा ही अंधेरा दिखायी पड़ रहा है. घर में एक भी अनाज नहीं है. कई बार तो ऐसा हुआ है कि भूखे पेट सोना पड़ा है.
रिपोर्ट- दुर्जय पासवान