शुभंकर, सुलतानगंज: सावन के पहली सोमवारी को डाक जल बाबा पर जलार्पण के लिए रविवार को डाक कांवरियों की भीड़ गंगा तट से जल लेकर निकल पड़ी. दिन के दो बजे कांवरिया पथ के नारदपुर समीप डाक बम जा रहे डाक कांवरिया मिलते है. दौड़ लगाते डाक कांवरियों के साथ-साथ जाते हुए पूछने पर बताते है डाक जल चढ़ाया, जो चाहा सब पाया. कांवरिया पथ पर डाक बम रूकते नहीं है. यदि वो रूके तो उनकी यात्रा पूरी नहीं मानी जायेगी. एक जगह खड़ा होने के बाद भी उनका पैर चलते रहता है. बांका के मोहन कुमार ने बताया कि किसी चीज की कमी नही है बाबा ने सब कुछ दिया.
प्रमाणपत्र लेने के बाद डाक कांवरियों को 24 घंटा के अंदर जलार्पण करना पड़ता है. रास्ते में डाक बम की सेवा के लिए कई शिविर खोले गये है. शिविर के द्वारा कई प्रकार की सुविधाएं डाकबम को दी जा रही है. नालंदा के सुमन कुमार कहते है डाक जल चढ़ाने के बाद नौकरी में तरक्की मिली तो वहीं चंदा कुमारी कहती है बाबा की कृपा से पढ़ाई में मैं आगे हूं. 24 घंटा के भीतर ही बाबा पर जलार्पण कर पूरे साल आनंदमय जीवन जीने का रास्ता खुलता है. आस्था की उगर मे सुख की कामना के साथ मधुर कुमार, रोहित कुमार, गौतम कुमार ने बताया कि देवघर के बाबा बैद्यनाथ पर डाकजल चढ़ाने से सब कुछ मिल जाता है.
डाक जल की महत्ता काफी है. कठिन साधना के बाद बाबा पर जलार्पण के बाद अद्भूत अनुभूति डाक कांवरियों को होती है. सारिका कुमारी, अमृता कुमारी, निखिल रंजन, महेश कुमार, मनोरंजन ने बताया कि मनोकामना पूरा होने के लिए डाक जल लेकर जा रहे है. बाबा सबकुछ देते है. मेरी भी मनोकामना जरूर पूरा करेंगे. कांवरिया राधेश्याम ने कहा कि इच्छित फल पाने के लिए डाक जल की अलग महत्ता है.
Also Read: Sawan 2022: माता-पिता को कांवर पर बैठाकर बाबाधाम निकले बेटा-बहू, जानिये कलयुग के श्रवण कुमार की कहानीकांवरिया पथ पर डाक बम की सेवा के लिए कई शिविर लगाये गये है. शिविर के संचालक बताते है कि डाकबम की सेवा से अद्भूत आनंद मिलता है. सेवा ही सच्ची पूजा है. सेवा से ही बाबा सब कुछ दे देते है. सेवा शिविर मे कई डाक बम को कई सेवा दी जा रही थी. चलते हुए ही डाक बम को सेवा प्रदान की जा रही थी. कई महिला व पुरूष सेवा मे लगे हुए देखे गये.
डाकबम जितेंद्र कुमार बिहार की तरक्की के लिए डाक जल बाबा पर जलार्पण बीते 16 साल से कर रहे है. रविवार को डाकबम का प्रमाणपत्र लेकर पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा जल भर कर देवघर प्रस्थान किया. उन्होंने बताया कि श्रावणी मेला को राजकीय दर्जा दिया गया है. इससे मेला की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुई. मेला को राष्ट्रीय मेला का दर्जा देना बहुत जरूरी है. श्रावणी मेला को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिए बाबा से विनती करेगे. उन्होंने कहा कि बाबा किसी को निराश नहीं करते है. जो उनके दरबार में सच्चे मन से मांगता है. बाबा वैद्यनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते है.
किऊल-लक्खीसराय निवासी जितेंद्र 2012 में 57 दिन में लक्खीसराय से वैष्णो देवी की यात्रा पूरा कर चुके है. उन्होंने बताया कि बाबा भोले मुझे बहुत कुछ दिया. पूरे शरीर में कष्ट था, हथेली नहीं खुलती थी, रीढ़ की हड्डी अभी भी टूटी हुई है. बाबा के पास जाने से भला-चंगा हूं. उन्होंने कहा कि बाबा सबका कल्याण करते है. बाबा में अद्भुत शक्ति है.
Published By: Thakur Shaktilochan