आनंद तिवारी पटना. पटना एम्स में अगर आप बीमारी की जांच करवाने के लिए आ रहे हैं और डॉक्टर ने परामर्श पर्ची पर एमआरआइ की जांच लिखी है, तो आपको डेढ़ से दो साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है़ क्योंकि एम्स में बढ़ते मरीजों के दबाव के कारण एमआरआइ जांच के लिए लंबी वेटिंग चल रही है. ऐसे में अस्पताल आने वाले सैकड़ों मरीज निजी अस्पतालों व एमआरआइ सेंटर में जांच के लिए मजबूर हैं. इसके लिए उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ रही है. कमोबोश यही स्थिति अल्ट्रासाउंड, एक्सरे व सिटी स्कैन की है.
एम्स में 2500 से लेकर पांच हजार रुपये तक में एमआरआइ जांच हो जाती है. यहां शरीर के अलगअलग पार्ट की एमआरआइ जांच के अलग-अलग रेट तय हैं. बाहर जांच करवाने पर छह से 10 हजार रुपये तक मरीजों को देने पड़ रहे हैं. वर्तमान में एम्स में सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक 20 से 25 मरीजों की एमआरआइ जांच की जा रही है. एक एमआरआइ के लिए लगभग 40 मिनट से एक घंटे तक का समय लग रहा है, जबकि रोजाना सैकड़ों मरीज एम्स ओपीडी में जांच करवाने के लिए आते हैं.
एमआरआइ जांच की लंबी वेटिंग के पीछे मरीजों की भीड़ व स्टाफ की कमी है. सूत्रों की मानें, तो एमआरआइ जांच करने व उसकी रिपोर्ट करने के लिए एम्स में चार ही स्टाफ हैं. वहीं, रेडियोग्राफर स्टाफ की संख्या भी कम है. इनमें से सभी रोटेशन के हिसाब से रात के समय भी ड्यूटी करते हैं. परिजनों की मानें, तो वार्ड में भर्ती मरीजों को भी 10 से 15 दिन तक का समय दिया जा रहा है.
21 जनवरी, 2024 का दिया समय औरंगाबाद की रुपम ने नेत्र रोग विभाग के डॉ अमित कुमार की ओपीडी में उसने सात जुलाई को आंख दिखायी. डॉक्टर ने एमआरआइ जांच के लिए लिखा. जब वह रेडियोलॉजी विभाग में एमआरआइ जांच कराने पहुंची, तो 21 जनवरी, 2024 की तिथि दी गयी.
एक साल सात माह बाद का दिया समय भोजपुर से आये राजेश कुमार ने बताया कि मेरा इलाज हड्डी रोग विभाग में चल रहा है. डॉक्टरों ने एमआरआइ जांच की सलाह दी. लेकिन, जब मैं रेडियोलॉजी विभाग में पहुंचा, तो मुझे एक साल सात महीने बाद आने को कहा गया. मैंने एमआरआइ जांच नहीं करायी.
मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से वेटिंग मिल रही है. लेकिन, जल्द ही इसका भी समाधान किया जायेगा. एम्स में अलग से एमआरआइ यूनिट की स्थापना की जायेगी. इसकी प्लानिंग कर ली गयी है. इससे अब आने वाले समय में वेटिंग लिस्ट खत्म हो जायेगी और समय पर मरीजों की एमआरआइ जांच हो जायेगी.
-डॉ जीके पाल, निदेशक, पटना एम्स